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इन्सान है बांटों जितना बाँट सकते हो, यह बटता चला जायेगा. धर्म या फिर जाति के आधार पर आदमी आदमी से बटता चला जायेगा. पहले तो अच्छा ही था की लोगों ने कम के आधार पर या फिर अपनी सुविधा के आधार पर बुद्धिमान वर्ग ने बाँट दिया था, अब फिर से उसे कुरेदो. उसकी जाति पूछो और फिर उसे अपने नजदीक आने दो. यदि जाती अच्छी है तो अच्छे से पूछो.
कभी किसी अच्छे राजनीतिज्ञों ने सोंचा था की जाति मिटा दी जाये. इसका कुछ प्रयास भी किया गया था. इस देश के तीन राजनीतिज्ञों को भ्रम हो गया है कि हमारी जाति ज्यादा है और गिनती के बादसंख्या के आधार पर जातिगत वोट पाने कि कोशिश कि जाएगी. और फिर सत्ता में जाति के आधार पर ही कार्य होंगे. जो जाति वोट देगी उसी का नेता जी कम करेंगे व उसी को अधिकार कि बात करेंगें. देश फिर बात रहा है जाति के आधार पर कभी बटन था धर्मं के आधार पर. अभी तक हम भुगतते चले आयें है कि फल जाति का मुख्यमंत्री है तो उसी जाति के तमाम लोग विभिन्न पदों पर आसीन हो गए.
अब इस देश में पढाई भी जाति के आधार पर है. राजनीती जाति के आधार पर है. आगें देश भी जाति के आधार पर जाना जायेगा. जैसे यादवों का देश, पंडितों का देश, कुमियों का देश या फिर ऐसा ही कुछ. मेरे बंधुओ, नेताओं, व अन्य माननीयों कृपया आदमी को न बांटों. उसे इन्सान होने के नाते इन्सान के नजदीक ही रहने दो, नफरत न बढाओ. अभी तक दंगे तुमने किये धर्म के नाम से सत्ता के लिए. अब जातिगत दंगे दगोगे.
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