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उगते को नमस्कार तो सभी करते हैं. सरकारें भी ऐसा ही कर रही है. अभी जो झाड़ग्राम में हुए ट्रेन हदसा हुआ था उसे धरा-6 के तहत सी.बी.आइ.जांच करने से मना कर रही केंद्र सरकार बड़ी ही जल्दी से धारा- 5 को समझ कर सी.बी.आइ.जांच की घोसणा कर दी. ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. पहले भी तमाम निर्णय बदले जा चुके है. इस देश का दुर्भाग्य ही है की मनमोहन जैसे लोग प्रधान मंत्री हैं और कानून के साथ आम आदमी नहीं सरकारें खिलवाड़ कर रही है. जैसे ही हादसा हुआ था कांग्रेस को चाहिए था की जैसे ही ममता बनर्जी ने कहा की घटना संदिग्ध है और सी.बी.आइ. से कराई जाए तो तुरंत ही आदेश करना चाहिए था. कम से कम आदमी के मरने पर तो राजनीति न कर जांच कर अपराधी तक पहुच कर दंड देने की व्यवस्था करनी चाहिए थी ताकि फिर इस प्रकार की घटना न हो. उसकी जगह कांग्रेस ने ममता को नीचा दिखने के लिए जांच को ठोकर मार कहा की राज्य सरकार की संस्तुति नहीं है. अब कहाँ से आ गयी.
कांग्रेस की नीति है की किसी प्रकार से सत्ता में रहना. इस देश की बिडम्बना है की ऐसे कमजोर आदमियों की सत्ता के जुल्म सहना. दूसरों को बेबस करना और राजनीती से हटाना. यही ममता के साथ किया जा रहा था. किन्तु अगर ममता को शेरनी और कांग्रेस को बेबस बकरी कहा जय तो गलत न होगा. कांग्रेस का यह कहना कि हमारे बगैर ममता बंगाल नहीं फतह कर सकती तो यह बहम भी कांग्रेस को निकलना ही होगा. बेबसी के आलम में ममता से हार मानने वालो अब बदलो देश में इन्सान के मरने कि घटनाओ पर राजनीती का पानी मत चढाओ नहीं तो ढूढे ठिकाना नहीं मिलेगा.
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