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जागरण में एक अच्छी खबर छपी है. नक्सलियों ने अध्यापकों को समय से स्कूल आने व अच्छी तरह से पढ़ाने का फरमान जारी कर दिया है. चलो हमारे यहाँ जो एक अधिकारी को कहना था उसे कुछ लोगों कहा जिन्हें नक्सली का दर्जा दिया गया है. सरकार कानून बनती है और लोग कानून बेचते है तथा न्याय का गला घोटते हैं. कम से कम उस जिले का जहाँ पर नक्सली सक्रिय है वहां अब शिक्षा के स्तर पर सुधर की संभावना है. वहां पर एक साशन का अहसास होगा. देश के बच्चे कुछ अच्छे बनेगे. जो अध्यापक पढ़ाने के बजाय समय काट कर चल देते थे उनके लिए मुश्किल होगी. उत्तर प्रदेश में तो सैकड़ो अध्यापक स्कूल न जाकर केवल वेतन लेने का कम करते है. सरकार के बूटा है नहीं कि उनसे कम ले ले, तब क्या होगा, सरकारी स्कूलों का हाल तो किसी से छिपा नहीं है
अव्यवस्थाओं को सही करने का यह नक्सली तरीका ठीक है. समाज को सुधारने का कार्य किसी को तो करना ही होगा. एक अच्छी व्यवस्था को मेरा ही नहीं समाज का भी समर्थन मिलना चाहिए. नक्सली भी इसी सामाजिक अव्यवस्था के पैदा है.
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