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कांग्रेस को अब देर न कर खुलेमन से अपना हाथ स्वीकार कर समस्त विवाद पर पानी डाल देना चाहिए. जैसा की पूरी दुनिया में केंद्र सरकार की आलोचना हुई. राजीव गाँधी का भी नाम आया. और यह सच भी है, देश की जनता इतनी सीधी है की किसी प्रकार की विरोध का जोखिम नहीं उठती है. कुछ भी अच्छा-बुरा हो जाए कुछ भी नहीं कर सकती. यहाँ की जनता बेबसी में जी रही है और बेबसी में ही जीती रहेगी.
अब और देर हुई तो मामला बिलकुल खुल कर आ जायेगा और फिर कांग्रेस की हैसियत नहीं रहेगी राजीव के नाम को बचाने की. ज्यादा से ज्यादा से राजनीति के डूबते सितारे अर्जुन सिंह की बलि दे दो. फिर भी जान नहीं बचने वाली. कांग्रेस की बदनामी तो होनी ही है और होगी ही. सभी मिलकर अर्जुन सिंह को दफ़नाने में लगे है. असलियत से पीछे हटने को तैयार है किन्तु सच स्वीकार नहीं कर रहे.
देश का ऐतिहासिक हादसा होने के नाते कोई भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं मुख मोड़ सकता है. जिस देश में इतना बड़ा हादसा हो गया था आप खुद समझिये बिना पी एम् की सहमती के कुछ नहीं हुआ होगा. फिर किसी भी देश में हो उद्योगपति भी एक राजनैतिक हस्ती के बराबर महत्वा रखता है. किसी भी देश की रीढ़ होता है जो देश को पैसों से मजबूत बनाता है.वह भी तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब दुसरे देश से आकर इस देश में रोजगार के अवसर पैदा करता है. इससे देश का विकास होता है. अच्छी पार्टियों को चंदा आदि से भी सहयोग करता है.
मतलब सब को मजबूत करता है. नीचे से लेकर ऊपर यानि प्रधान मंत्री तक उस धन से अनुग्रहीत होते है. तब भला सबको सम्रध करने वाला भला कैसे आम आदमी जैसा दंड भरेगा. ठीक भी है एंडरसन ने तो लापरवाही की नहीं अलबत्ता इतना जरूर कहा जा सकता है यही के लोगो ने गलती की, जिसका खामियाजा देश के नागरिकों ने भुगता.
अब सवाल यह उठता है अपराध तो हुआ और उसे मिटने की पूरी कोसिस तत्कालीन प्रधान मंत्री से लेकर संत्री तक ने किया. सब बवालों से बचाते हुए उसे सम्मानित तौर से विदा कर दिया गया. इतना करने के लिए भी उसने कुछ तो किया ही होगा. वह कानून से बच गया.
इतने बड़े मामले आसानी से नहीं राजीव जी से ही निपटा होगा. ऐ कांग्रेस के लोगों अब बेबसी त्यागो और डंके के चोट पर कहो राजीव ने ही एंडरसन को बचाया.
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