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इस देश को राहुल गाँधी और कांग्रेस से बहुत उम्मीद है. कुछ तो लोग सेहरा ही देखना चाहते है. राहुल है की एक पारी अपने बलबूते खेल कर तब सेहरा बंधना चाहते है. सिर है तो सेहरा भी जरूर बंधेगा. आज बंधे या फिर कल. अब सवाल उठता है, सेहरा कौन सा ? मनमोहन जी ने भी कहा था की राहुल के लिए गद्दी छोड़ सकते है. मतलब साफ है कि इस देश का सेहरा भी उनका इंतजार कर रहा है. इधर 40 बसंत पर लेकिन अपने देश का भविष्य के खेवनहार कि शादी का सेहरा. और यह कांग्रेसी है कि सेहरा बंधवा कर ही सास लेने चाहते है, जबकि हाईकमान चाहता है कि शादी की वजह से कोई विवाद न पैदा हो. अतः नई जो लोक सभा की पारी आएगी उसमे राहुल को ही प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट किया जाये और सत्ता हथिया ली जाये.
राहुल बेचारा न तो अपने इच्छा से कोई सेहरा बांध सकता है और न ही कुछ कह सकता है. कुछ कांग्रेसी जरूर सहरा के नाम पर मनमोहन पर जोर दवाब बनाया करते है. यह तो सत्ता है, इसका विरोध भी होगा और परिवर्तन भी होगा. जनता है हो सकता है अपने सिर पर ही सेहरा बांध ले और लोगो को ठेंगा दिखा दे. हर तरफ से फेल हो रही सरकार अपने ही हाथ से अपने को ऊँचा बताती है. लोग सेहरा अपने सिर पर बांध लेते है. किन्तु जब जनता सेहरा बंधती है तो फिर अच्छो – अच्छो को दिन में तारे नजर आने लगते है. वसे भी राहुल को भी तो कुछ न कुछ भोपाल विवाद में कहना चाहिए था. किन्तु कांग्रेस ने जान-भूझ कर दूर रक्खा.
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