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कहावत है एक म्यान में एक तलवार नहीं रह सकती है. जंगल में एक ही शेर राजा होता है. हर शेर तो राजा हो नहीं जायेगा. एक खुद राजा है तो दूसरा पला हुआ है. एक समुदाय विशेष का प्रिय है तो एक पूरे समाज का प्रिय है. जिसे सांप्रदायिक कहा जाता है वही एक गैर सांप्रदायिक व्यक्ति का मित्र तो हो सकता है. किन्तु उससे ऊपर नहीं हो सकता. भाजपा भी ऐसे ही वोते बढ़ाऊ लोगो को शीर्ष तक ले जाती है. हिन्दुओ का मत केंद्रीकृत कर सत्ता हिथियाने की राज नीति ही तो थी कुछ वर्षो तक भाजपा ने राज किया. नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में अपनी एक अलग पहचान बनाई और सत्ता को लगातार काबिज रखने में कामयाब रहे. उसका कारन भी यही थी हिन्दू मतों का एक होना.
लेकिन किसी एक समुदाय या एक जाति का राजा नहीं हो सकता. सर्व सम्मति और सर्व समाज का समर्थन जिसे मिले वही असली राजा हो सकता है ना कि एक समुदाय का. अर्थात बल उसी का ज्यादा होगा जो सभी से होगा. वह कैसे दबेगा. वह क्यों किसी कि सहेगा. भाजपा का समर्थन तो लिया जा सकता है किन्तु यदि समाज में सांप्रदायिक लोगो के साथ कि गतिबिधिया होगी तो निश्चित ही किरकिरी होगी. मेरी नजरो में नितीस जी ने ठीक ही किया. रही गठबंधन की तो यह समय के अनुसार होता है. अवसर मिलता ही दो दुश्मन यदि बुद्धिमान है तो एक हो जायेगे.
नितीस एक अलग नाम है जिसे लोग विहार में बदलाव के नाम से जानते है. लोगो को शांतिमय जीवन देने में जो भूमिका नितीस ने निभाई है शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हिंदुस्तान के इतिहास में गांधी जी के बाद हुआ हो, नितीस ने बिहार में एक नै बयार सुरु की, वहा के लोगो को दिखाया शासन है. गुंडों-मवालियो, नक्सलियो, माफियो, डकैतों, वर्दी धरी डकैतों से मुक्ति दिला कर दिखा दिया हम पूरे देश को बदल सकता है.
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