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माननीय कोर्ट “जस्टिस शिव नारायण धींगड़ा ने कहा है कि यह जांच एजेंसी भ्रष्टाचार के मामलों में रसूखदार लोगों को गिरफ्तार नहीं करने को तरजीह देती है।” यह टिप्पड़ी एक चोर की गिरफ़्तारी और सजा के सम्बन्ध में कहा जिसमे एक मंत्री भी सामिल है. इस केश में जब चोरी के एक आरोपी व्यक्ति ने अदालत के सामने ये दलील दी कि कई करोड़ रुपये के घोटाले में कथित रूप से शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री को भी ऐसी ही राहत दी जा चुकी है। तब कोर्ट ने उचे रशूख वालो के खिलाफ कार्यवाही न करने की या फिर बचने की कोशिश सी बी आई करती है.
माननीय जी को यह नहीं पता है शायद की देश की कोई भी पुलिस या फिर गुप्तचर व्यवश्था केवल देश के सुखी, संभ्रांत व रशूख दार लोगो की रक्षा के लिए ही होती है. किसी गरीब को कभी छोड़ा गया हो या न्याय मिला हो ऐसा केवल कहानियो में तो हो सकता है, न की हकीकत में. यदि आप कभी गरीब रहे हो या फिर किसी गरीब के संपर्क में रहे हो तो जाने न क्या गुजरती है उन पर, क्या पुलिस क्या सी बी आई सभी केवल उन्ही रशूख वालो के ही हमदर्द मिलेगे. जरूर उसी मंत्री ने उस छोटे से अपराधी से चोरी जैसा अपराध कराया होगा और पुलिस ने बरामदगी भी की किन्तु एक केंर्द्र सरकार के मंत्री को किस सी बी आई अधिकारी की हैसियत है की छू भी ले.
आप भी जब रिटायर होगे तो रशूख वालो में ही गिनती होगी भला तब आप कैसे चाहेगे कि कैसे कोई भी आरोप आप पर लगे और लग भी गया तो केवल आप का जज होना ही काफी है और आपसे पुलिस क्या इस देश का कोई न्यायलय मुकदमा सुनाने के ही पक्ष में नहीं होगा. आप कि भी रक्षा यही पुलिस और सी बी आई करेगी.
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