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एक किस्सा छपा आर टी ओ के सिपाही का कमल. यह देश ही है वीर जवानों का, अलबेलो का मस्तानो का. यहाँ पर जो भी है किसी न किसी प्रकार से कमा ही रहा है. उपरी, निचली या फिर हर तरह से मजबूर आदमी को हर कोई किसी न किसी बहाने से लूट रहा है. सरकार है नहीं. पैसा है तो सरकार है, कोई भी काम नहीं रुक सकता है. यदि नहीं तो अब तरस खा कर कोई भी काम करने का समय चला गया. आम आदमी से लेकर प्रधान मंत्री तक सभी पैसे से ही बन रहे है, सरकारे बन रही है तो पैसे से ही, मुख्यमंत्री हो या फिर विधायक सभी के बनाने में पैसे का ही बोलबाला है. एक सरकारी कर्मचारी का छोटा सा हाले-वाकया छाप गया तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
मई उतर प्रदेश का निवासी होने के नाते यह जान रहा हूँ किस प्रकार से लूट मार मची हुयी है. हर विभाग में लूट चल रही है. कोई भी जरूरत नही किसी से डरने की. डरता तो है केवल शिकायत करने वाला. घूस खोर या फिर आर्थिक आपराधी इतना अपने को एक्सपोज कर देता है तो सामने वाला किसी प्रकार की शिकायत करने की हिम्मत नहीं उठा सकता है. यदि कोई करने की जहमत उठता भी है तो उसे पहले गुंडों से नहीं तो फिर पुलिस से किसी भी फर्जी केश करा कर भयभीत किया जाता है. दूसरे उसकी हालत देख कर कभी शिकायत करने की सोचते ही नहीं.
अभी तक आप समझिये मै भी हिम्मत नहीं जुटा सका हूँ शिकायत करने की. अब आप समझिये पूरे उत्तर प्रदेश के महाविद्यालयों ने बी एड की दोगुना फीस वसूली और इस प्रान्त के उच्च शिक्षा मंत्री ने साफ-साफ कहा नहीं वसूली गयी. आप हो या हम शिकायत करने जायेगे तो कहा. हर जगह वही बठे है. किसी अधिकारी के खिलाफ कुछ करने है तो पहले सरकार से अनुमति मांगी जाएगी तब तक मामला साफ कर दिया जाता है. किसी भी प्रदूषण की एन.ओ.सी. के लिए तो सभी जानते है कितनी बड़ी धन्रासी देनी होती है. जाति का हो या आय का हो सभी जानते होगे कितना परेशान किया जाता है. विना पैसा लिए शायद ही किसी को प्रमाण पत्र मिलता हो.
कानपूर में ही एक विजली विभाग का अदना सा कर्मचारी था जिसने कई करोड़ की ईमारत ही नहीं समाज में रुतबा भी ग़ालिब किया था. इस सरकार ने क्या किया कुछ विग्दा उसका, कुछ नहीं. इस व्यवस्था में चोर ही जाच करते है और चोर ही सब बराबर करते है. अब न्याय की गुन्जाईस कैसी. न्याय प्रणाली में भी पुकार से ही वसूली सुरु हो जाती है और पैसे लेकर ही न्याय किया जाता है.
अब आते है मूल समाचार पर फरुक्खाबाद निवासी औरैया में तैनात सिपाही ने करोडो की संपत्ति अर्जित की. यह तो बानगी है. इस देश का हर सिपाही करोडपति है, बसर्ते कुछ दिन उसे कमाऊ पोस्ट पर रहने को मिल जाए. जब चौकी और थानों की नीलामी की जाएगी तो न्याय आदि की उम्मीदे छोड़ देनी चाहिए. अब आप ही निर्णय करे इस सिपाही का क्या बिगड़ेगा. कुछ नहीं हम आज लिख रहे है. आयकर विभाग भी कुछ अब खास नहीं कर रहा. जो है ठीक कुछ इधर भी देते चले जाओ बस. एक नजर डालिए जरा इस परिवहन विभाग की कमी पर. कानपूर में ओवर लोडिंग के लिए इंट्री मतलब पैसा देना होता है, इसका पैसा पूरे हिंदुस्तान के व्यावसायिक जिले से जो कानपूर से जुदा है उससे आता है. एक दस चक्का ट्रक दो हजार की दर से एक लाख ट्रक की इंट्री दी जाती है यह सब ऊपर देने का नाम पर की जाती है. अब आप समझिये प्रति माह कितनी बड़ी कमाई है, इस जिले की तरह जिले में यही हाल है. अब निर्णय कीजिये उस बेचारे सिपाही की ही क्या गलती है पैसा है हिस्से में मिला तो क्या फेक दे.
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