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आज जागरण का मुख्या पेज भ्रष्ट अधिकारियो के बचाव को मुख रूप से प्रदर्शित कर रहा है. कितनी बड़ी बिडम्बना है एक तो सीधे ही चोरे या डकैत टाईप के भ्रष्ट अधिकरिओयो के खिलाफ सीधे कारवाही कर जेल की हवा खिलानी चाहिए. किन्तु चोर -चोर मौसेरे भाई, सभी एक-दूसरे को बचाने में लग गये और इस सम्बन्ध में देश की सबसे बड़ी अदालत को तीन माह के भीतर अनुमति सम्बन्धी अनुमति देने को कहा गया, किन्तु इस देश के भ्रष्ट अधिकारी ज्यादा ताकतवर और अनुशासन हीन है. उन्होंने बड़ी अदालत के आदेशो को भी ताख पर रख कर चोर, बेईमान, और लुटेरे अधिकारिओ को बचाने का काम किया और कर रहे है.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक आदेश पारित कर कहा था तीन महीने के बाद भी अगर नहीं निर्णय लिया जाता तो एक महीने की अवधी के अन्दर तो अनुमति देना ही पड़ेगा. यदि लेकिन इन बड़े चोरो ने एक नयी रास्ता तलाश ली और सीवीसी से ही जवाब – सवाल के नाम पर सालो से गुजार दिए. इनका कुछ नहीं हुआ और इनको समय भी मिल गया सम्बंधित मुकदमो के शाक्ष्य मिटाने का. आश्चर्य की बात तो यह है कई मामले तो 2002 से लंबित पड़े है और इन कामचोर अधिकारियो का कुछ बिगड़ा नहीं. यह सरकार भी कुछ ऐसी ही है. देश के सबसे बड़ी अदालत के आदेसो को ठेंगा दिखाने वाले इन बड़े अधिअक्रियो पर अवमानना का मामला साफ बन रहा है. पर यह सरकार ऐसा कर पायेगी, लगता तो नहीं है.
समस्या तो यहाँ खड़ी है इस देश में इंसानों को बाटने की. आदमी की कई क्षेडियो में बाँट दिया गया है. जब देश के किसी भी गैर सरकारी आदमी को कभी भी पकड़ कर जेल में डाला जा सकता है तो फिर इन दिन दहाड़े शासन के धन के डकैतों को खुली छूट देकर मुकदमा के अनुमति के नाम पर शाक्ष्य मिटाने की आजादी दे दी गयी है. हर आदमी बराबर होना चाहिए. इन दिन के अपराधियों की भी वही सजा होनी चाहिए जो एक रात के डकैत की होती है. डकैत तो इनसे अच्छे है वे एक आध घर को लूटते है लेकिन ये लोग समूचे देश के धन को लूटते-खसोटते है.
अब तो पब्लिक को भी पहल करनी पड़ सकती है. यदि सरकार कुछ कर पाने में सक्षम नहीं होगी तो ये भूखे लोग लूटने वालो को मरने में तनिक भी नहीं संकोच करेगे. सरकार समय रहते चेत जाना चाहिए. एक भिखारी से लेकर एक शिखर के व्यक्ति के लिए कानून एक होना चाहिए. सबको समान दंड होना चाहिए, सबको समान कानून का अधिकार है.
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