BEBASI
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नहीं अनुमान था
ऐसा भी होगा
मानव मनाओ को बटेगा
अपने ही अपनों को
किन-किन हथियारों से कटेगा.
जीवन है जीवन का क्या
जीवन ही जीवन से पूछेगा
ऐसे ही जीवन मिटता है क्या,
इसको तो जीना था,
अभी और कुछ लम्हों को,
इसे तो अभी पीना था
सामाजिक जहरों को,
इसे भी तो लड़ना था
मानवता के हत्यारों से,
सब ठीक था, इन अंजुमन में
हौसला था कुछ कर गुजरने का
नहीं पता था उसको
मिटा देगें हमको.
समझ का फेर रहा
जो जीवन भर सब के जीने को
लड़ता रहा,
शायद उसे उम्मीद नहीं थी
ऐसा भी होता है,
अपने ही अपनों को
मिटा देता है.
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