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आज ही नहीं स्वतंत्र के बाद से ही सत्ता में सत्ता का खेल सुरू हो गया था. सत्ता बे भागीदारी से लेकर सत्ता से बहार करने का खेल खेला गया. जिन्होंने देश को आजाद कराया और अपना सब कुछ निछावर कर दिया वही सत्ता से बाहर कर दिए गए. उनके परिवारों का अत पता भी आज नहीं है. सुभाष और पटेल जैसे नेताओ का कही कोई पारिवारिक राजनीती में हिस्सेदार नहीं है. कोई कहाँ जी रहा है. जिनके परिवार उजाड़ गए वह तो गए बचे केवल सत्ता का सुख रखने वाले. देश की स्वतंत्रता से ही कांग्रेस सत्ता का सुख भोग रही है, इन्ही के भ्रष्टाचारी कांग्रेसी सिपाही देश की जनता को गुमराह कर लूट रहे थे. कुछ दिनों के लिए सत्ता में बदलाव तो आया किन्तु आपस में खिट-खिट से जनता ने ऊब कर फिर से सत्ता उन्ही के हवाले कर दी. फिर से कांग्रेसी नेताओ के हाथ में सत्ता आते ही लूट खसोट का राग सुरू हो गया.
इंदिरा के जवाने से ही लुटे धन को रखने के लिए नेताओ ने देश के बाहर का रास्ता देखा और खूब जमा कर इस देश को खोखला बनाया. न जाने कितना धन आज तक जमा है और वे मर कर चले गए. तभी इस देश की अर्थ व्यवेअस्था चौपट हो गयी थी वह तो भला हो भाजापा का जिसने कुछ तो अपना विदेश मुद्रा की बढ़ोत्तरी कर देश के विकास का रास्ता खोला. उसी के सहारे आज की सरकार चल रही है. इस सरकार का हर नुमैन्दा लगभग वैसा ही है जैसा की इंदिरा के जवाने में था. आज सरकार के नेता उसी पहलू पर चलने लगे है. इंदिरा के समय में आम आदमी को इतनी जानकारी नहीं थी और न ही ऐसा कोई आभाष होता था. आदमी करता कुछ और था और होता कुछ और था. न जाने कितना सरकारी खजाना इन नेताओ और अधिकारिओ की जेब जनता कुछ जान भी नहीं पाती थी.
अब आज हर आदमी वही करने की कोशिश कर रहा है जो आम नेता कर रहा है. लूट की नौका गाव तक इन नेताओ ने पंहुचा दी, गाव का साधारण आदमी भी लूटने की कोशिश कर रहा है और विना करे का नरेगा का पैसा लेना चाहता है. इस तरह लूट को गाँव की जमीं तक पहुचाने में भी अब कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है. हर तरफ लूट मची है, वह चाहे शिक्षा हो, स्वस्थ्य हो, पुलिस हो, कृषि हो, या कोई नया विभाग हो , सभी जगह लूट ही लूट है. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने खेल से सबंधित निर्माण कार्यो में वित्तीय गड़बड़ी को उजागर कर देश के सामने एक नया सवाल खड़ा कर दिया. जब राजधानी का यह हल है तो आम जगहों की तो कोई बात करना ही बेकार है. जितने भी हल बने है उनकी क्या दशा होगी भगवन ही मालिक है. इस देश की सरकार दिल्ली से ही चलती है और वही से ही सभी नीति नकलती है, मनमोहन भी वही रहते है सभी अधिकारी भी वही रहते है फिर भी लूट हो रही है तो अब आप ही समझ लीजिये देश के आखिरी कोने में क्या होता होगा. खेल सबंधी जितने भी आयोजन है लगभग सभी में इसी प्रकार का घपला चल रहा है. सभी की जाच की जाए तो सब कुछ खुल कर सामने आ जायेगे. लेकिन जाच करेगा कौन सभी जो चोर ठहरे.
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