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इस देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे की ऐसे लोग सत्ता में ही नहीं योजना आयोग जैसे विकास और सवेदनशील विभागों में काबिज हो जाते है. अभी हल में अहलुवालिया ने इस देश के सम्बन्ध में कहा है. भारत के ग्रामीण इलाकों में समर्धि बढ़ी है इसलिए महगाई बढ़ी है और काबू नहीं हो पा रही है. गाँव का आदमी आज भी वैसा ही जी पा रहा है जैसा आजादी से पहले था. गाँव में कितनी समर्धि या भुखमरी बढ़ी है इसके लिए अहलूवालिया जैसे लोगो को अकेला मतलब सरकारी तामझाम के अतिरिक्त जा कर अध्ययन करना चाहिए. तब पता लगेगा असली कारण क्या है.
आफिस में बैठ कर योजना बनाने से कभी भी किसी देश के भविष्य नहीं बदला है. गाँव की तरफ पैसा बहाया जा रहा है आज भी कुछ प्रषित लोग ही दोनों समय दल-सब्जी खा पा रहे है या फिर केवल दल या सब्जी से कम चला रहे है या फिर पानी मिले दूध से ही रोटी गले से नीचे उतार रहे है. महगाई बड़ी है सब्जी और अन्न की भी कीमत बढ़ी है तो जरा आज और आज से कुछ साल पहले के दामों का तुलनात्मक अध्ययन कर समझे की खेती के उत्पादों की कीमत कितनी बढ़ी है और डीजल बिजली या खाद या फिर बीज की कीमत कितनी बढ़ी है. अपने आप आप समझ जायेंगे, किसान नाम का आदमी कितनी और कैसी जिन्दगी बसर कर रहा होगा.
ग्रामीण क्षेत्रों में भी सरकारी पैसे को पहुचाया गया है. उसमे राजीव गाँधी के जवाने से ही यह तय है की केवल केंद्र से गाँव तक पहुचने में ही 90 प्रतिशत पैसा खर्च हो जाता था. यह इस देश के प्रधान मंत्री यानि राजीव गाँधी ने स्वीकार किया था. और किसी देश में होता तो इतनी बड़ी अक्षमता में सरकार से इस्तीफा देना पड़ता. लेकिन यह देश धो रहा है और लगता है दोता रहेगा. इसी कांग्रेस और इसी परिवार के भावी प्रधान मंत्री ने भी अपने बयां में एक बार सत्यता स्वीकार कर जमीनी स्टार तक पैसा न पहुचने की बात कही थी…..
और फिर भी अहलूवालिया इठला रहा है,
खुद तो धोखे में जी रहा है,
इस देश को भी धोखा दे रहा है,
खुद तो खा रहा है मलाई
सुखी खानेवाले को भी
बता रहा है,
देखो वह घी पी रहा है.
अब अहलूवालिया जैसे लोगो से इस देश को पाचा चुदाना ही चाहिए, वरना देश को न जाने कितने गहरे में पंहुचा देंगे. आज भी मैंने देखा ही नहीं समझा भी और महशूस भी किया है की इस समय भी ग्रामीण की स्थिति भी वही है जो आज से पंद्रह-बीस साल पहले थी.
आज फिर वही दोहरा रहा हूँ कांग्रेस आयी और इसने भ्रष्टाचार को बढाया. बढ़ाते-बढ़ाते इतना बढाया की देश की अंतिम इकाई गाँव के छोटे से छोटे गरीब आदमी तक पहुचाया. यही नंबर दो का पैसा ही आम आदमी तक पंहुचा है और वही अहलूवालिया को दिख रहा है.
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