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भारत एक सरल और सहज देश है. यह स्वतंत्र है और यहाँ कुछ भी कहने व करने की आजादी है. लोग करते भी यही है. कभी कोई गाँधी को गली देता है तो कभी कोई इस देश की ही बुराई करता मिलता है. यही तो अच्छाई है की हर कोई स्वतंत्र है. इस देश की एकता को भी आप बिखंडित करें तो भी आप का नाम होगा. और स्वतंत्रता की बात कह कर आप को सरकार सर आँखों पर बैठा लेगी. यही नियम है और ऐसे ही देश चल रहा है. हाँ अगर आप ने यहाँ के किसी थानेदार या दरोगा कुछ भी कह दिया तो अपनी खैर न समझो, फिर तो पूरा का पूरा खाकी वार्द्ज धारी जुट कर आप के मोहल्ले या गाँव तक की ऐसी तैसी कर डालेगा, जहाँ भी आप होगे वहां से खोज निकलेगा और आप को न जाने किस- किस भारतीय सविधान के अंतर्गत जेल में डाल कर ही दम लेगा और आप को बेदम कर डालेगा. आप देश को कुछ भी कह लो गाँधी को भी कुछ कह लो तो वह कुछ नहीं करेगा, इंतजार करेगा कोई आये तो पैसा दे तभी संज्ञान में लेगा. मेरे कहने के यह मायने नहीं की मै पुलिस या सविधान की बुराई या खामी बता रहा हूँ. मै तो यह कह रहा था कोई भी इस देश में कुछ भी कर सकता है कुछ भी कह सकता है और कही भी कैसा भी कम करे यह वही जाने. इसी देश का एक हिस्सा कश्मीर है पहले यह विशाल भारत का हिस्सा था, और आज भी है.
स्वतंत्रता के बाद इस देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए हमारे लौह पुरुष सरदार पटेल ने न जाने क्या-क्या कोशिशे की थी. तत्कालीन प्रधान मंत्री नेहरु ने कश्मीर को हरी सिंह के कारण पूरा विलय न करके विवादित छुडवा दिया. इसी कमी के चलते आज देश के वाशिंदे इस कमी का खामयाजा भुगत रहे है कभी धन से, कभी तन से, मानसिक उलझन से तो उन्हें रोज ही दो-चार होना पड़ता है. इसी कशिमिर के लिए कई बार युद्ध भी हुआ. कश्मीर में चुनाव होते है, वहां की जनता अपने नुमयंदे चुनती है और MP तथा MLA बनाती है. फिर भला कैसा विवाद. यह तो केवल कांग्रेस प्रायोजित था और आज भी है. आज तक कभी भी कांग्रेस ने यह बात नहीं कही दफा 370 को दफा कर देंगे. बल्कि वह तो केवल इस विवाद को जिन्दा रख कर कश्मीर में अपना शासन दिखाना/करना चाहती है. तभी तो इसके सहयोगी मुख्य मंत्री उम्र ने भी आतंकी घटनाओ व वोट बटोरने के लिए पाक की ही भाषा बोली थी.
गिलानी एक फरमान जारी किया है – लोग दीवाली मना ले इसकी छुट दी जाती है. यानि गिलानी नहीं चाहता तो लोग दिवाली नहीं मन पाते, है न बिडम्बना. इससे तो साफ जाहिर हो गया कश्मीर में सरकार नहीं है बल्कि गिलानी ही सरकार है. यह चाहेगा तो लोग खाना खायेगे नहीं तो लोग मानसिक, शरिर्रिक और आर्थिक उत्पीडन झेलेंगे. अब कैसी सरकार वहां है अब आप सभी अच्छी प्रकार से जान सकते है. और मान सकते है की यह सब कांग्रेस ही करवा रही है. अब तो शाजिस लगती है कश्मीर को गुलाम बना ही दिया गया है. वहां पर सरकार तो है ही नहीं यदि कोई कहता है सरकार है तो फिर गिलानी की फटकार क्या है. कभी कोई तो कभी गिलानी, यही सब कश्मीर में कुछ भी करवाने के जिम्मेदार है. इनके आतंकी बयां ही कश्मीर की शांति बहाली में बाधक है. लोगो के जीवन में व्याधियां व्याप्त कर भय पैदा किया जा रहा है और केंद्र सब सामान्य बता रहा है, मुख्य मंत्री शांत है, सर्व दल वार्ता के लिए चिदंबरम कह रहा है. जब कश्मीर में सरकार है तो केंद्र के वार्ता की आवश्यकता क्या है. एक साफ-साफ कह रहा है जन जीवन को नरक बना रहा है वह स्वतंत्र घूम रहा है और सरकार उसके चक्कर कट रही है भाई छोडो जाने दो अब आन्दोलन न करो. यानि जो जेल में होने चाहिए वह सरे आम लोगो का जीना हरम किये है और केंद्र वार्ता कर रहा है, है न आश्चर्य.
इन सब बैटन से साफ जाहिर है गिलानी ही कश्मीर चला रहा है, उम्र मौज कर रहा है और कश्मीरियो को लुभाने के लिए बयानाब्जी भी कर रहा है.
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