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उमर मुख्यमंत्री है या सरगना

BEBASI
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मै पहले भी कह चूका हूँ उमर का चल चलन अच्छा नहीं है जब देखो तो यह केवल आतंकियों की ही बात करता है. कश्मीर को अपनी जागीर भी समझता है. इस व्यक्ति को कांग्रेस पल पोस रही है जो की एक ऐसा नाग साबित होगा की कांग्रेस खुद भी डूब जाएगी. कश्मीर को खोने में भी अगर किसी की भूमिका होगी तो वह कांग्रेस की ही होगी. एक मुख्य मंत्री का जो कार्य होता है वह न करके गंदगी भरे बचकाना बयां देना न केवल अपने आप में दुःख दाई है बल्कि नई और वैश्विक मुसीबतें पैदा करते है.

पहले इसी सक्श ने सेना को हटाने की पहल की और विवादित बयान देकर आतंकियों की हौसला अफजाई की. अगर हालात अच्छे होंगे तो खुद ही सरकार सेना हटा लेगी. फिर उमर को सीधे केंद्र से वार्तालाप करना चाहिए न की अखबारबाजी कर मामले को तूल देना चाहिए. सेना ने भी अपने सभी प्रयाश किये है तभी अभी तक शांति चल रही कश्मीर घाटी में फिर से असंतोष पनपा और लोगो की जिन्दगी गंदगी से भरने की साजिस इसी उमर के कारण पैदा हुई लगती है. पत्थरबाजों को तैयार कर एक नई पहल भी इसी उमर सरकार के जरिये ही अगति है.

इसके बाद फिर से इस सक्स ने बयानबाजी कर पाकिस्तान को वार्ता में शामिल करने की बात कह देश की अस्मिता के बटवारे का काम करने की पहल कर दी. भला इस देश के आन्तरिक मामलो में दूसरे देशों का क्या काम. पाक ने कभी इस उमर को किसी समझौते में पाक बुलाया. जहाँ आदमी को आदमी से घ्रणा का पाठ पढाया जाता हो भला वो लोग न्याय क्या जाने. उमर ऐसा लगा जैसे की पाक के लिए काम कर रहा हो. हमारे देश में स्थित कश्मीर पर ऐसे किसी बयानबाजी की सख्त मनाही की जानी चाहिए.

अभी देश में मेहमानवाजी के तहत आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के आने के पहले इसी उमर ने फिर से एक नया बयान देकर फिर विवाद खड़ा कर दिया. उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में गत दिवस एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा, यह जरूरी है कि वार्ता प्रक्रिया में सलाहुद्दीन को शामिल किया जाये। उमर ने पाक के बाद अब आतंकी सरगनो को भी शामिल करने की अपनी वकालत को सही ठहराते हुए जायज बताया है. भला एक आतंकी जिसका आदमी को आताकित करना ही काम हो वह शांति का पथ क्या जाने – माने. यदि मान भी जाए तो आतंक ख़त्म हो जायेगा और उस आतंकी को कौन भाव देगा और वह कब चाहेगा की शांति बहल हो. वह तो यही चाहेगा की कश्मीर पर कब्ज़ा कर फिर दूसरी जगह भी कब्ज़ा करें.

कभी गौर से सोंचा जाए, देखा जाये या फिर पूरी घटनाओ पर निगाह दौड़ाया जाए तो इस बार शांत कश्मीर घाटी में ऐसा अहसास होता है कि इस बार आतंक उमर के बयानबाजी के बाद ही सुरु हुआ. इस तरह के बयान किसी मुख्य मंत्री द्वारा देना अत्यंत दुखदायी और सवेदना हीनता का प्रमाण देता है . ऐसा लगता है जैसे यह उमर वोट के लिए फिर से कश्मीर कि शांति को आग लगा देना चाहता है. अपने को पुनः मुख्य मंत्री देखने के लिए पाक या आतंकियों से समझौता करने में भी नहीं हिचकने वाला कांग्रेस के ही साथी हो सकते है. यही देश को बेचने का काम करते है और भ्रष्टाचार कि गंगा में नहाते है फिर उसी गंगा को भी गन्दा करते है. उमर को तो तत्काल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए और सलाहुद्दीन के आतंकी गैंग में शामिल हो जाना चाहिए. सलाहुद्दीन और अन्य आतंकी को यही उमर ही पैसा उपलब्ध करा रहा होगा तब तो इतनी बयानबाजी किया.

केंद्र सरकार को चाहिए उमर का इस्तीफ़ा लेकर इसके आतंकी संबंधों को उजागर किया जाए. सरकारी पैसे का आतंकी गतिबिधियों में करने और कश्मीर में अशांति फ़ैलाने के साथ- साथ देश द्रोह का मुकदमा भी चलाया जाना चाहिए.

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