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कब तक लोगो का मन भार्मोगे, कब तक अपनों को जनता के ऊपर गुंडागर्दी कराकर सत्ता पर काबिज रहोगे. इन सभी सवालों का जवाब लाने हो या फिर पासवान सभी को सोचना ही चाहिए. सत्ता के मद में चूर सभी ने भुला दिया था की जनता हमेशा की ही तरह चुटकुलों और सामंतवादी/मफियावादी लोगो के घेरे में आ जाएगी. लेकिन जनता तो जनता है, जगती है तो गुंडागर्दी क्या डकैत/लुटेरे और सभी आतंक समर्थक तक को ढूंढें रस्ते नहीं मिलते. अब तो लोगों को सुधर जाना चाहिए. भ्रष्ट लोगो को भी सोचना चाहिए की अब जनता को देखना पड़ेगा और उसके ही मन की करनी भी पड़ेगी. अगर नहीं तो सत्ता से बहार का रास्ता बना बनाया है. हिंदुस्तान में शिक्षा का स्तर बढ़ा है. ऐसे में जब की सूचना तकनीक आज शिखर पर है तो सभी जानकारिया जन- जन तक पहुच रही है.
लालू और पासवान ने कभी भी पीछे मुड कर नहीं देखा और जनता की तकलीफों को छोड़ केवल सत्ता के खेल में लगे रहे उसी का परिणाम है, जनता ने उनकी तरफ मुड कर नहीं देखा. आज बहुत दिनों के बाद बिहार की जनता को सुख- चैन का अभाष हुआ है वह सत्ता बीते समय के गंदे लोगों के हनथो में देकर फिर से अपना चैन खोना नहीं चाहते है. अब तो लालू- पासवान को राजनीती छोड़ आकर कुछ और करना चाहिए. लालू के समय की गुंडागर्दी और नरसंहार देख चुके लोगो के दिल- दिमाग में आज भी भय ब्याप्त है और उससे छुटकारा पाने के लिए ही दोबारा भी किसी प्रकार का खतरा मोल नहीं लिया.
कांग्रेस तो अपनी ही करनी के कारन मुह की खा रही है. उसके मंत्री से लेकर संत्री तक केवल लूटने में लगे रहे है और लगे है. इस बात का इशारा मई पूर्व में भी कर चूका हूँ. जैसा की अभी हल में सभी ने भी देखा एक अभूत्पोर्व घोटाला. कांग्रेस के मंत्री आपस में ही बाते बना बना कर जनता को गुमराह कर सरकारी कामों की अनदेखी कर अपनी पूंजी में जुटे रहे. इसी अंदाज में एक बार यद् कीजिये राजीव गाँधी ने कहा था आखिरी आदमी तक केवल दस पैसे ही पहुचते है. जब एक प्रधान मंत्री अपनी ही व्यवस्था को इंगित कर रहा है और फिर भी सत्ता में बना रहा. जरा सोचिये की जब आप कोई भी व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चला पा रहे है तो फिर सत्ता से जुड़े क्यों है.
कांग्रेस के राहुल गाँधी ने भी बिहार की धरती में न जाने- जाने कौन कौन सी बातें कही. अपने गंदे रूप को उजागर नहीं किया और जिन लोगो ने भी भ्रष्टाचर किया उनके बारे में कुछ भी न कह कर केवल जनता को बहलाने की कोशिश की. लेकिन किसी दूसरे प्रान्त की जनता होती तो विश्वास करती लेकिन बिहार की जनता ने देखा जो केंद्र में सरकार नही चला पा रहे है वो भला बिहार में क्या करेंगे? फिर बिहार ने राहुल को नकार दिया. अगर ध्यान हो तो एक बार इस राहुल गाँधी ने भी यही कहा था जमीं तक पैसा पहुचता ही नहीं. अब जरा सोंचो फिर सत्ता में कांग्रेस रह कर क्या कर रही है. राहुल की अगर नहीं चल रही और कोई भी व्यवस्था बनाने में कामयाब नहीं है तो फिर सत्ता कैसी. वडा कैसे.
क्या यह देश भी नितीश को छह रहा है. इन घोटालों और नियम कायदों और कानून की बिगडती व्यवस्था को कायम करने के लिए अब शायद यह देश नितीश या नितीश जैसा कोई चाह रहा है.
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