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सही ही कहा गया है की सूप बोले तो ठीक है चलनी भी बोल रही है. कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया ने जो उत्तर प्रदेश की सरकार के ऊपर कहा की नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार का बोल बाला है तो यह बताएं की कांग्रेस सरकार ही कौन सी दूध की धूलि है. यह तो राज्य की सरकार है यहाँ तो भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है किन्तु तुम केंद्र सरकार में हो तुम्हारे यहाँ तो नहीं होने चाहिए थे घोटाले. वह भी एक कैबिनेट स्टार के मंत्री ने किया और आप कुछ भी नहीं कर पाई. तब उसी कमी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ऊपर तोहमत लगा कर क्यों सत्ता का रुख देखने की कोशिश कर रही हो.
जहाँ तक मै समझता हूँ राज्य सरकार तो आकंठ तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. इसका तो रोज भुगत रहा है यहाँ का आम आदमी. यदि तुम इस देश को चला रही हो तो तुम्हारा क्या फर्ज यानि कर्तव्य है जनता के पैसे को लोग अपना बना रहे है और आम जनमानस पिस रहा है तो केंद्र की ही जिम्मेदारी तो है की उन कमियों को दूर करे. उतर प्रदेश का सबसे बुरा समय कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी. लेकिन केंद्र की सत्ता में आसीन सरकार अगर कुछ भी करने में सक्षम नहीं है तो फिर सत्ता में क्यों है.
निचले स्तर का अगर कोई भी व्यक्ति इन भ्रष्टाचार के कामों में लिप्त पाया जाता है तो तत्काल उसे कुछ करने की कोशिश की जाती है. और कुछ भी होता नहीं. कर्मचारियो की यूनियन उसे बचने की कोशिश करती है तो कभी उसके कमाए धन के बन्दर बाट कर भष्टाचारी बहार आ जाते है और फिर सुरु होता है शिकायत करने वाले का उत्पीडन. जरा सोचिये अभी तक राजा से कोई भी पूछ- तनछ नहीं कर पाया. देश के धन को अपना समझ कर अपना लिया. अगर सुप्रीम कोर्ट यह कहता है की सबसे बड़ा घोटाला है तो फिर आप समझिये की किस मुह से कांग्रेस की सोनिया न भ्रष्टाचार का आरोप जड़ा.
यह तो वही बाट हुई की अपने को न देख दूसरे के ऊपर कमेन्ट करना कितना हास्यपद है अब आप ही जान सकते है. कांग्रेस या उसके नुमायिंदे जिस तरह से देश का धन लूट कर स्विस बैंको में जमा करती रहे है. वही खेल अब
भी चल रहा है. लेकिन अब जागरूकता और जन संचार के माध्यम इतने शसक्त है की कोई भी तुरंत जान लेता है कितना और कहाँ लूट हुई.
केंद्र में आसीन कांग्रेस की मुखिया अगर केंद्र या राज्य के भ्रष्टाचार को जानकार भी अगर नहीं रोक पा रहे तो समझिये की सभी मिलकर बन्दर बाँट कर रहे है.
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