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तुमसे तो अच्छे

BEBASI
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वह तुम ही थे न
जो हमसे ही नहीं
सब के दिल में छाये थे,
तब से अब तक ही
कुछ तो कहते
रहते
बाते ही तो थी मानवता की.

अब क्या है,
भूल गए
अपनों को
अपने ही लोगो को
अपनी ही भाषा को
अपनी ही तहजीब को
अपने ही मानवता के मजहब को.

अब तो राग अलग है
हर कोई तुमसे नहीं
मिल सकता,
रोकता है पैसा तुम्हारा रास्ता.
बहुत कोशिशे हुई
सभी ने चाह मिलकर
सद्दत की दुःख- दर्दों को
बाँट दे, सुना दे,
जानते सब है तुम
कुछ भी नहीं कर पाओगे
जब तुमने अपने ही वृक्ष
जिसने तुमको जाया था,
न जाने कितनो बहाने से
रास्ते बनाये थे न आने के
पैसा ले लो,
क्रिया कर्म करो
अब क्या होगा आने से,
जो होना था हो गया
बन गए थे अनजाने से.

फिर हम सब ने चाहा,
जोड़ कर चलने को
क्योकि तुम आदमी हो
आदमी को तो पहचानोगे,
मानवता के नाते
मानव से नाता जोड़ोगे,
तुम तो भूल गए
तुमसे तो अच्छे
वह ही है
जो तुमको मान गए.

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