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कलमाड़ी तुम तो तुम ही हो,
जाने कब से उस पद पर काबिज हो,
यही काफी है तुम्हारे लिए
तुम दोषी ही कब थे देश के लिए.
दोषी तो यह देश के लोग है
जिन्होंने तुम सरीखों पर विश्वास किया
तुमको जमीन से असमान पर तन दिया
सर आँखों पर बैठा दिया
गरीबों का खज़ाना सौप दिया
एक तुम थे,
जिन्होंने तुम्हे अपना समझा
तुमने उन्ही को लूट लिया.
दोष तुम्हारा नहीं
दोष उस व्यवस्था का है
जिसने तुम्हे अपना समझ
इतने दिनों ढ़ोती रही
तुम्हरे हाथों जनता का खज़ाना
लुटती रही और लुटाती रही,
उस वाश्वास को भी तुमने कूट लिया.
हमें पता है तुम दोषी नहीं
दोषी तो वे है जिनको तुमने शेयर किया
दोषी तो वे है जिन्होंने पल्ला जगद लिया,
दोषी तो वे है, जिन्होंने-
एक दरिद्र और लुटेरे को
यहाँ तक पंहुचा दिया,
तुमने उनको दिन में तारे दिखा दिया.
तुम तो अपने हो
तुमने भी सब कुछ अपना माना
सत्यानाश हो इन विरोधियों का
जिन्होंने आप के अपनेपन को
भ्रष्टाचार या लुटेरे का नाम दिया,
कलमाड़ी को ही दोषी बना दिया.
तुमने तो अपना सब दोष मिटा दिया
जितना कुछ भी मिला
उन सभी कागजों को जला दिया
फिर भी कुछ आकडे थे
उनको भी कुछ सुंघा दिया
इसी लिए तो मनमोहन ने
कांग्रेस से पूँछ-तांछ कर
तुम्हारे विरोधियों को हटा दिया
जीवन दान दिया
मिटा सको ता मिटा दो,
तुमने हर साक्ष्य को
अपना बना लिया.
कलमाड़ी तुम कब……..
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