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कितनी विडम्बना है देश के नाम के लिए अपने कलमाड़ी ने एक सफल राष्ट्रमंडल खेलों का सफलतम आयोजन किया और कोई उनकी तरफदारी भी नहीं कर रहा है. जहाँ पर सभी लोगों के साथ- साथ विदेशी भी कह रहे थे और शंका भी व्यक्त कर रहे थे वही पर कलमाड़ी ने वह कर दिखाया जो अपने आप में मिशल बन गयी. भाई कोई भी वास्तु हो अगर उसके दाम कम होंगे तो निश्चित ही है लोग कम ध्यान देंगे. इसके लिए अपने कलमाड़ी ने बजट खीच- खीच कर बहुत बढाया. जब बजट बढ़ ही गया तो खर्च कहाँ करना है यह भी सोचना पड़ता है आखिर यह पैसा जायेगा कहाँ तो जाहिर सी बात है कुछ तो व्यवस्था तो करनी ही थी सो जितना बन पड़ता था वह किया गया. जहाँ तक जो भी बना वह किया. अब भाई पैसा है सड़क चलते किसी को तो बाँट नहीं दिया जायेगा सो अपने ही तो है जो उसे सुँरक्षित भी कर सकते थे और बुरे समय में भी काम आ सकते थे. जितना बन पड़ा उन्होंने बांटा. यहाँ तो बड़े- बड़े अधिकारी पूरा का पूरा पैसा हजम करना चाहता है, लेकिन देखो बेचारे कलमाड़ी ने तो सब को कुछ न कुछ दिया. यानि समाजवाद की तरफदारी की. पैसा एक जगह न होकर सभी की हिस्सेदारी भी तो उनको पुरस्कार की तरफ ले जा रही है.
सबसे बड़ी बात यह है की अगर कोई भी व्यक्ति दोषी हो जाता है तो चाहे सरकार हो या कांग्रेस पार्टी होती सभी कलमाड़ी को ही हटाने की बात करते, लेकिन नहीं किसी ने नहीं की और आज जक कलाम्दी अपने सभी अधिकारों के साथ डेट हुए है. डेट भी क्यों न? आखिर केवल कलमाड़ी ने ही थोडा पैसा धर लिया है उन्होंने तो कुछ पीएमओ में तो कुछ पार्टी फंड में भी दिया होगा. कुछ मंत्रालय के लोगों को तो कुछ स्पांसर करने वाले तो कुछ पैसा लगवाने वाले सभी को तो कुछ न कुछ दिया ही गया होगा. मतलब साफ सा है हर किसी को लाभ मिला तभी तो आज कोई भी उनको हटाने की स्थिति में नहीं है. तभी तो मै दावे के साथ कहता हूँ बहुतो का मत कलमाड़ी की और ही जा रहा है. आप भी सोंचे आखिर यहाँ तो पूरी की पूरी योजना ही एक अधिकारी हजम कर जाता है और उसको पुरस्कृत भी किया जाता है. आखिर अपने कलमाड़ी भी को भारत रत्न क्यों नहीं?
और तो और देखिये यह आज तक अपनी कुर्सी में काबिज है और सबूतों को मिटाने यानि मौके से हटाने में पूरी की पूरी अपने सम्पूर्ण कौशल को लगाया होगा और सत्ता के उन दलालों का भी साथ मिला होगा जिन्होंने अभी तक न जाने कितनो के किये कराये पर पानी फेर कर भारत का पैसा स्विस बांको में जमा करा दिया है. आखिर कांग्रेस के एक यह भी तो चमकते सितारे है और पूरी तन्मयता से पार्टी को सहयोग देते है. नहीं तो पार्टी को पैसा क्या ऊपर से आएगा और बिना पैसा लोगो को कैसे बहकाया जायेगा.
पता नहीं क्या इस पूर्व वाले मंत्री को सुझा जो सब भंडाफोड़ दिया ही और बदनाम कर दिया. ऐसा ही करना था तो किसी कोने में मिल लिए होते कम से कम अपने कलमाड़ी का विरोध तो न किया होता. इसके बाद भी कलमाड़ी जी तो जमे हुए ही है, इसका भी एक अंक जाता है कलमाड़ी जी के भारत रत्ना मिलने को.
एक सचिन को अपने इतने ओहदे पर बैठे कलमाड़ी भी से भी ऊपर कर दिया शोभा नहीं देता. कलमाड़ी ने न जाने कितने सचिनो को सचिन बनाने में मदद और दिशा निर्देशन किया होगा अतः आप लोग ही बताइए कलमाड़ी के रहते सचिन को भारत रत्न देना कितना बुरा होगा.
अच्छ हो या बुरा अपने कलमाड़ी तो काला माडी तो है ही किसी न किसी पहलू से कुछ कला बजी कर अपना नाम कमिटी को भिजवा ही देंगे. भाई का पैसा भी किस कम आएगा. वैसे भी हिंदुस्तान में कई सफे इन पुरस्कारों व रत्नों में खड-बड कट चुकी है यानि की विवाद कायम हो चुके है. तो किसी विवाद को रोक कर सरकार को निर्विवादित कलमाड़ी को सच्चे दिल से भारत रत्न से सम्मानित कर देना ही चाहिए.
आप की राय आप जानो.
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