- 282 Posts
- 397 Comments
हत्यारे तो हत्यारे ही होते है- वह स्वतंत्र भी हो सकते है या फिर समूह में जैसे आतंकवादी या कोई अन्य समूह. अपनी बात को जबरदस्ती मनवाने या फिर अपनी मानसिकता के चलते ही सामूहिक रूप से कुछ लोग मिल कर काम करते है जिन्हें कोई व्यावाश्था पसंद नहीं होती. उसका कोई भी नाम दिया जा सकता है. विश्व का कोई भी देश इस व्यवाश्था से अछूता नहीं है. कही पर ज्यादा है तो कही पर कम. यह भी एक बिडम्बना है सामाजिक व्यवाश्था का या फिर शासनिक व्यवाश्था का. कही न कही कुछ भी कारन छिपा होता है. इनका कोई भी धर्मं नहीं होता है जो हिंसा के साथ धर्म की बात करते है वह जरूर कुछ लोगो की मानसिकता के शिकार होते है. जो अपनी अतृप्त इच्छाओ के चलते इस तरह की भूको का निर्वाह करते है. कुछ देश के राजनयिक भी इस तरह के लोगो को पालते है जो आम आदमी या विरोधियों को पस्त यानि ख़त्म करने के काम को अंजाम देते है.
जब तक यह आम आदमी को खत्म करते रहते है तब तक सब कुछ सामान्य सा रहता है. इनकी मानव की अनुभूतियाँ मृत प्राय हो जाती है. आदमी के मरने के कष्ट की कोई भी सवेदना तो जैसे होती ही नहीं है. हिंदुस्तान में भी इस तरह की घटनाओ को बखूबी नक्सलवादियो व अन्य संघटनो द्वारा बखूबी से अंजाम दिया जाता है. बिहार और पश्चिम बंगाल की घटनाओ के प्रति भी हम यही कह सकते है. धार्मिक उन्माद में भारत में भी इस तरह की घटनाये भी कभी कभी ही देखने को मिलाती है. इनका किसी भी सवेदना से कोई भी मतलब गरज नहीं होता. यहाँ पर डकैतों अदि ने भी न जाने कितनो को ख़त्म किया और मौज से जीते रहे. इन्हें भी केवल अपने उन्मादी, पैसे या सामाजिक उत्पीडन या फिर पारिवारिक उत्पीडन के चलते घर- बार छोड़ अपनी बागी रह को पकड़ लेते है. यह तो भारत की बात रही.
जब कभी भी कोई प्रशिद्ध व्यक्ति इनका शिकार हो जाता है तो बड़ी ही तेजी से हाहाकार मचाता है और इनके खात्मे का बीड़ा उठाया जाता है. भारत के पडोसी देश पाक में तो अपराधी बनाने की पूरी व्यवाश्था ही उपलब्ध है. यहाँ पर हर स्तर के अपराधी बनाये जाते है. बाकायदा पाक के हर मोहल्ला में उनका नेटवर्क है. इसको भी बढ़ावा पाक सरकार, मुल्ला, मौलावियो व कट्टरपंथियों ने दिया. यह भी बड़े ही खतरनाक किस्म के अपराधी होते है और धर्म के नाम पर अपनी शक्ति को जमीनी स्तर तक पंहुचा कर किसी भी घटना को अंजाम देते है. इनको दूसरे देशों की भी सहायता भी मिलती है. शासन प्रशासन में इनकी पकड़ के तो कहना ही क्या है. पाक में तो अब सत्ता हाशिल करने के लिए इनका साथ लेना मजबूरी बन गया है. पूरे विश्व के मुस्लिम देशों से सहायता के नाम पर इनके आयाशी के लिए प्रबंध व सभी सहूलियते मौजूद रहती है.
अभी हाल में इन अंतर्राष्ट्रीय हत्यारों के आवाहन पर धर्म के नाम पर पाकिस्तान के एक सलमान तासीर की हत्या कर दी, वह भी हत्या करने वाला भी उनका अंगरक्षक ही था. जैसे कभी हिंदुस्तान में कभी इंदिरा गाँधी की हत्या की गयी थी. दोनों की स्थितियां और घटना एक सी लगती है केवल यहाँ पर धर्म के आधार पर हत्या की गयी तो इंदिरा जी की भी हत्या धार्मिक या फिर खालिस्तानी उन्माद के चलते की गयी थी. फर्क केवल इतना मिल रहा है इंदिरा के हत्यारों को भी गोली मारी गयी थी जबकि तासीर के हत्यारे को गोली नहीं मारी गयी. यानि धार्मिक उन्माद में सभी के सभी अंगरक्षक भी शामिल थी.
तो आप ही समझो जैसा कोई भी बोयेगा वैसा ही तो काटेगा. पाक में आतानिक्यों की कोई भी कमी नहीं है, दर दर पर कौन कितना बड़ा हत्यारा है कोई भी नहीं बता सकता. अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मनाही के अक्रन अपने को जिन्दा शाबित करने के लिए कुछ तो इन हत्यारों को करना ही होता है. तो कुछ अच्छे तरीके का क्यों न हो जाए. यही सोंच कर तासीर की हत्या इन कट्टरपन्थियो ने करावा दी.
ये तो हत्यारे है हत्या तो करेंगे ही, चाहे एक गवर्नर तासीर हो या आम तासीर की हो.
Read Comments