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वाह कांग्रेस! वह इसे ही कहते है राष्ट्रभक्ति?

BEBASI
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इस देश में राजनीतिक क्या न करा दे कोई भी भरोषा नहीं, एक गलती नेहरू ने कर दी, जिसका खामयाजा यह देश अब तक भुगत रहा है. आगे क्या न भुगतना पड़े यह तो समय ही बताएगा. देश की सेना बड़ी तादाद में कश्मीर और जम्मू की ही सुरक्षा किया करती है. के अनावश्यक खर्च और राजनीती का अखाडा और कश्मीर के लिए दुनिया भर का विश्व स्तर पर बखेड़ा. तभी तो किसी भी राजनयिक में दूर द्रष्टि नहीं है तो देश को नुकसान के दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ते है. कांग्रेस ने ही इस देश के राष्ट्रभक्त होने का चोला पहना था. उसी चोला से आग की एक छोटी सी चिंगारी निकली थी जिसकी आग की आंच में आज तक देश बेवजह भुगत रहा है. कांग्रेस समर्थित कश्मीर का मुख्यमत्री उमर ने कई बार विवादित बयानबाजी कर उसने कश्मीर की शांति को ही तोड़ने की कोशिश की. अब कांग्रेस और उमर लाल चौक को झंडारोहण से प्रतिबंधित कर देश को क्या सन्देश देना चाहते है? क्या किसी नयी देशभक्ति का नमूना प्रस्तुत करने जा रहे है ? क्या लाल चौक में तिरंगा न फहर सके तो कांग्रेस की राष्ट्रभक्ति पक्की हो जाएगी?

अब लाल चौक में इस समय लाल उगे हुए है जिन्हें तोड़ने की कोशिश में कश्मीर का मुख्यमंत्री उमर और कांग्रेस के साथ अब भाजपा भी हिस्सेदारी निभाना चाहती है. अरे भाई यह देश बहुत ही विशाल है और कही भी झंडा फहराया जा सकता है. देश की शहं में बट्टा लगाने की कोशिश कांग्रेस के द्वारा उम्र से कराया जा रहा है. तमाम फ़ौज फाटा केवल इस लिए लगाया जा रहा है ताकि तिरंगा को न फहराया जा सके. क्या देश में कहीं भी ऐसा है जहाँ तिरंगे को न फहराया जा सके? तो उसे जरूर रोका जा सकता था.

कांग्रेस हो या उमर इन दोनों तो बेवजह ही लाल चौक में झंडारोहण को तूल दे दिया और तमाम खर्च किया केवल लाल चौक में झंडा रोहण होने से बचने के लिए. यह कहाँ तक उचित है? क्या सरकार भी चाहती है झंडारोहण लाल चौक में न हो या केवल उमर?

अगर दम थी तो उमर को स्वयं ही तिरंगे को सम्मान सहित लाल चौक में फहरा कर सरे विवाद को ही समाप्त कर सकता था किन्तु इनकी राष्ट्रीयता की भावना मर चुकी है. यह केवल सत्ता में रहने के लिए ही जी रहे है. सत्ता के लिए वोट की राजनीती ही इनका मुख लक्ष्य रह गया है. सब कुछ करो किन्तु देश के लिए भी तो कुछ करो. वेवजह इस लाल चौक के चक्कर में सेना से लेकर एनी सुरक्षा व्यवाष्ठ करने की कोई भी आवश्यकता ही नहीं थी. चाहिए यह था खुद ही इस काम को अंजाम दे देना चाहिए था.

कहाँ छुप गया है कांग्रेस का नवयुवक का मशीहा बताने वाला यूराज राहुल गाँधी, राहुल को खुद ही आगे आ कर तिरंगे को शान से फहराना चाहिए था. तो कांग्रेस की बात ही कुछ और होती और समझ में आता कुछ देश के प्रति निष्ठां अभी बची है. अब तो कुछ घटनाओ से ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस केवल देश में राज करने के लिए ही सबकुछ कर रही है नाकि देश के लिए. इसी जगह जहाँ तक कांग्रेस की कश्मीर के प्रति विश्वश्नियता भी अच्छी समझ में नहीं आती. देश में सौतेला व्यवहार या कानून का प्रयोग नहीं होना चाहिए. प्रजातान्त्रिक देश में इस तरह के कारनामे अच्छे सन्देश नहीं पहुचाते है.

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