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मैंने नहीं अधिकृत किया था किसी को सांसदों की खरीद फरोख्त को. यानि किसी दूसरे को अधिकृत किया गया था. सत्ता के खेल में मनमोहन सिंह के साफ छवि का कांग्रेस ने जम कर इस्तेमाल किया और कोई भी कसर नहीं छोड़ी. किसी ने अपने मंत्रालय को लूटा तो किसी ने खेल आयोजन कर लूटा तो अन्य ने भी हर तरीके से लूटा. आखिर सभी ने मिलकर मनमोहन सिंह के छवि की छीछालेदर कर दी. मनमोहन सिंह जी बेचारगी में केवल सफाई देते ही नजर आये.
जैसा की आप सभी को भी जानकारी होगी परमाणु समझौता में लोक सभा में प्रस्ताव पारित करने के लिए विश्वाश प्रस्ताव लाया गया था. उस प्रस्ताव को पारित करने की जिम्मा भी निश्चित ही उठाया गया होगा. वरना सरकार अल्पमत में आ जाती और जाहिर सी बात है कांग्रेस की सरकार चली जाती. कौन सरकार को जाने देता और परमाणु करार का श्रेय भी लूटना था सो कुछ तो करना ही था और किया भी गया. सरकार लाना भी था और जनता को सन्देश भी देना था हमने परमाणु समझौता कर देश के विकास के लिए किया. तो किया भी गया सांसदों की लाबिंग और खरीद फरोख्त.
शायद आपको भी ध्यान होगा अमेरिकी सरकार को भी बहुत ही ज्यादा इस करार के प्रति चिंता थी और यह अमेरिका में भी बहुत ही सम्मान की द्रष्टि से देखा जा रहा था. अमेरिका के ही मार्ग दर्शन में यह सब करार हुआ और उसकी जानकारी में था कब क्या किया जा रहाहै. तो जरूर यह खरीद दरी अमेरिकी अधिकारियो की जानकारी में था बल्कि यह कहा जाए अमेरिका ने ही भारत के सांसदों की खरीद फरोख्त करवाई तो यह कोई अतिश्योक्ति न होगी.
जब इस देश का सांसद संसद में प्रश्न पूछने के लिए चाँद हजार में बिक सकता है तो यह तो करोडो और सरकार को बचने का प्रश्न था.
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