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और ऐसा क्या है दुनिया में,
जो तेरे लिए चुन दू,
ऐ! माँ तुझे क्या दे दू ?
तुने तो यह जीवन ही दे दिया,
खुशियों कस सजाया बगीचा,
एक-एक कतरे से मेरे जीवन को सीचा,
हर पल को तुने मुझ पर वार दिया,
जब आया संकट तो तुमने,
ढाल बन संहार किया.
बचा नहीं दुनिया में ऐसा प्यार दिया,
ऐ माँ! मै क्या बुन दू?
और ऐसा क्या है दुनिया में,
जो तेरे लिए चुन दू,
ऐ! माँ तुझे क्या दे दू ?
जिस पर तेरा था हक़,
वह सब मुझ पर तुने वार दिया,
जिन खुशियों को जीना था तुझे,
निछावर हर बार किया,
जिस से भी बस सकती थी ख़ुशी मेरी
खुद तुने मुझे समरथ भर उपहार दिया,
नहीं समझ पाता हूँ,
मै के कुछ भी कर दू,
और ऐसा क्या है दुनिया में,
जो तेरे लिए चुन दू,
ऐ! माँ तुझे क्या दे दू ?
तुने जो मुझ पर वार दिया,
क्या मै दे पाउँगा?
बचा ही क्या दुनिया में है,
जो मैंने पाया हो,
चुन-चुन कर गढ़ा है तूने मुझे,
ऐ माँ हर तिनका को जोड़ा है,
नहीं ऐसा कुछ इस जहाँ पर,
जिसे तुने और किसी को छोड़ा है.
ऐ माँ! फिर मै क्या लय को धुन दू?
और ऐसा क्या है दुनिया में,
जो तेरे लिए चुन दू,
ऐ! माँ तुझे क्या दे दू ?
जिस भी वास्तु पर निगाह पड़ी,
वह थी नहीं खरी,
जित देखू, तित यही समस्या खड़ी,
ऐसा क्या है जो चुन दू,
नहीं समझ पाया क्यों न तुझे ही यह,
मै परसराम नहीं जो तेरा सर हर लू,
मै तो हारा हूँ नहीं तुझे सर अर्पण कर दू,
समझ नहीं पता और हा ही आता,
यह भी तो तेरा है, इसका दर्द तुझे कैसे दू?
और ऐसा क्या है दुनिया में,
जो तेरे लिए चुन दू,
ऐ! माँ तुझे क्या दे दू ?
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