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अभी हाल में भारतवासियों ने सरे आम देखा एक पत्रकार जे डे की मुंबई में हत्या हुई. थोडा आश्चर्य हुआ. बताते है मुंबई पुलिस तो बहुत ही पाक साफ़ होती है और अपराधी को तुरंत पकड़ने में माहिर मानी जाती है. लेकिन सभी कुछ केवल कहने के लिए है या फिर देश से इन्साफ और कर्तव्य का अध्याय ख़त्म हो रहा है, या फिर उत्तर प्रदेश से मुंबई सबक ले कर पत्रकारों तक को मरवाने में गुरेज नहीं कर रही है.
अभी हाल में उत्तर प्रदेश सरकार ने तो जेल में ही किसी हरर फिल्म की तरह डाक्टर सचान को मरवा दिया. पहले तो दलितों की तरह इस डाक्टर को उठा लिया और उससे फर्जी रूप से अभियुक्त करार कर जेल पहुचाया, फिर जब डाक्टर ने अपने को निर्दोष और दोषियों को नंगा साबित करने की बात की तो पहले मनाया गया और जब नहीं बात बनी तो सत्ता के इशारे पर हत्या ही कर दी. जेल में सभी अधिकारी सरकारी थे. उनका बयां तो सरकार के अनुरूप तो आना ही था. इसलिए सत्ता के लोगो को जेल ही बेहतर जगह महसूस हुई सो उन्होंने कर दी डाक्टर की हत्या. इसे अपने की कर्मचारियों के द्वारा अत्म्हायता में तब्दील करना भी आसन था. सो किया भी और यह जानकार कोई भी सरकारी जांच तो हमारे खिलाफ जाना ही नहीं है.
इसी पहलू पर गौर कर भ्रष्टाचार की बलि बेदी पर एक और को इस दुनिया से बहार का रास्ता दिखा दिया गया. न्याय को भी भ्रष्टाचार से बहार करने की अन्ना की बात भी यहाँ पर जायज लगाती है. सरकार के इशारे पर ही तो उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायलय द्वारा सीबीआई इन्क्वारी की अनुमति नहीं दी गयी. भाई सरकार तो देगी ही नहीं, ऐसे केसों पर सीबीआई इन्क्वारी न होना भी क्या भ्रष्टाचारियो को बढ़ावा नहीं दे रहा. कैसे यह केस खुलेगा और कैसे न्याय मिलेगा.
इस देश में जनहित के कार्यकर्ताओ को किसी न किसी बहाने मार दिया जाता है. अब तो सरकार को पाक और साफ़ दिखने के लिए अफ आइ आर तक नहीं लिखी जाती है. अब आप समझ सकते है कैसे न्याय मिलेगा और जन जन तक स्वतंत्रता के मायने ही बदल गए. है. अब तो गाव में भी भ्रष्टाचार के पाव कांग्रेस सरकार ने फैला दिए है. इनसे भी हत्या के बीज निकल रहे है. यहाँ भी मरने वाले को सीबीआई तो दूर मरने की रिपोर्ट तक दाखिल नहीं होती है.
न्याय अब आम आदमी की पहुच से दूर होता जा रहा है. पुलिस भी उन्ही अपराधियों की तरफदारी कर मुद्दई को हताश और निराश कर मुकदमे दाखिल न करने की सलाह ही नहीं नाजायज दवाब भी डालती है.
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