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इतनी मिलावट कि
इंसान को इंसान ही नहीं,
बेजान बना डाला.
एक आदमी इन्ही इंसानों के सामने
झुलस गया, जल गया,
अपने लिए नहीं इंसानों के वास्ते
निकल गया सत्याग्रह के रास्ते,
इंसानों ने देखा, ताना-बना बुना
बस सत्याग्रह की आग देखने के लिए,
जल गया, एक इंसान नहीं पसीजे
मिलावट के शैतान,
उनको नहीं दिखा एक मिटाता इंसान.
इतनी मिलावट कि
इंसान को इंसान ही नहीं,
बेजान बना डाला.
अब तो औरते भी इंसान नहीं रही
नए मानव ने उन्हें मशीन ही नहीं
न जाने क्या- के बना दिया,
किस-कसी रूप में कितना
बदल कर एक नए समाज में पेश किया,
जलती, कटती, खपती
यह औरतो को इंसानी नहीं
मिलावट की मिशाल बना डाला.
इतनी मिलावट कि
इंसान को इंसान ही नहीं,
बेजान बना डाला.
मर रहा है तो मरने दो,
तो तुम्हारे डाक्टर होने का क्या ?
मिट रहा है तो मिटने दो,
तुमारी सरकरो से क्या ?
तड़प रहा तो तड़पने दो
तुम्हारे इंसान होने से क्या ?
क्या बनाना ? क्या बनाना था?
उफ़ इस मिलावट ने इंसान को
इंसान नहीं, हैवान बना डाला.
इतनी मिलावट कि
इंसान को इंसान ही नहीं,
बेजान बना डाला.
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