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भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि ए राजा ने अदालत में जो भी कहा है उससे स्पष्ट हो जाता है कि 2जी स्पेक्ट्रम को लेकर जो भी फैसले हुए, वे सब प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की मौजूदगी में हुए। उन्होंने कहा, हम शुरू से ही यह कहते आ रहे थे कि इस घोटाले में सरकार के किसी एक मंत्री की भूमिका नहीं है, अब राजा की टिप्पणी के बाद यह स्पष्ट हो चुका है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम के त्याग-पत्र की मांग की. मांग तो जनता हित में है.
सवाल यह है की पहले भाजपा को भी तो देखना चाहिए वह कितनी पाक-साफ़ है. लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कर्नाटक के भाजपा के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बी.एस. येदयुरप्पा चौतरफ घिर गए हैं। उत्तराखंड में एक सन्यासी केवल गंगा की तलहटी में अवैध खनन के चलते ही इस्वर को प्यारे हो लिए. राज्य सरकार भी तो भाजपा की ही थी. दोनों ही राज्य के मुख्मंत्री कही न कही से दोषी तो है ही. खनन की कलि कमी से लगभग देश के सभी प्रान्त ही नहीं बड़ी- बड़ी कंपनिया लाभान्वित हो रही है. किसी न किसी गड़बड़ी कर सरकारी खजाने के धन को अपना बनाने की मुहीम चालू है. यानि यह कह देना काफी नहीं की और भी प्रान्तों में अवैध खनन चालू है.
दूसरे लूट रहे है तो क्या अप भी लूटेगे. कांग्रेस की सरकार के घोटाले पर हल्ला मचने वालो पहले अपने कलार को देखो और सफाई करो तभी किसी और के खिलाफ चाहे वह प्रधान मंत्री ही क्यों न हो, कुछ बोलने से तो परहेज करो. अभी कुछ दिन की ही तो बात है जब गडकरी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को जीवन दान यानी सत्ता में बने रहने को कहा था. ऐसा ही कुछ येदुरप्पा के पाहले विवादित मसाले पर ही गडकरी ने क्लीन चित दी थी. ऐसे तो एक चोर दूसरे को चोर कहे तो अच्छा नहीं लगता. यही तो कभी- कभी लगत है. यह मौजूदा राजनीतिक वाकई आपस में मिलजुल कर देश की जनता से खिलवाड़ कर रहे है.
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