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एक समाचार पत्र के अनुसार “लोकपाल कानून के लिए आंदोलन कर रहे अन्ना हजारे ने रविवार से अनिश्चितकाल के लिए मौन व्रत पर जाने का ऐलान कर दिया है। इस दौरान अन्ना अपने गांव में ही रहेंगे। अन्ना ने कहा, ‘अनशन के बाद से काफी लोग मुझसे मिलने आ रहे हैं और मैं लगातार बोल रहा हूं। अभी तक मैं पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया हूं, इसलिए कुछ दिनों तक चुप रहूंगा।” यह अन्ना ने अपने गाँव रालेगण सिद्धि (अहमदनगर) में बयां जरी कर कहा है.
भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार की लडाई में अन्ना जी ने एक नया आयाम स्थापित करते हुए केंद्र सरकार को झुका कर मजबूत लोकपाल बनाने की घोषणा को मजबूर कर दिया था. कांग्रेस ने इगर-दीगर किया तो अन्ना टीम ने कांग्रेस का ही विरोध सुरु कर दिया.
वाकई यह कांग्रेस सरकार की कमजोरी ही कहा जायेगा, की एक अच्छे लोकपाल प्रस्ताव को नकार दिया और आखिर हार कर फिर वही रास्ता अपनाना पड़ा. इधर मनमोहन को अकेला छोड़ कर इलाज के बहाने सोनिया गाँधी परिवार विदेश चला गया. मनमोहन वेचार्गी में अपने सहयोगियों या चमचो के चक्कर में बदनाम भी हो गए और अन्ना को जेल भेजने से निकालने तक सरकार को नाको चने चबाने पड़े.
अभी हाल में अन्ना ने घोषणा कर दी की वह कांग्रेस का विरोध करने के लिए हाल में होने वाले चुनाव के पूर्व एक यात्रा करेगे और अच्छे का नाम पर कांग्रेस को हराने का काम करेगे. ऐसा किया भी और अभी हाल में हरियाणा में हुए चुनाव किया भी. अन्ना टीम ने जम कर कांग्रेस को हराने की भूमिका अदा की और निशित ही कहा जा रहा है कांग्रेस का प्रत्याशी हार भी जायेगा. तब कांग्रेस न बड़ा ही हाहाकार मचा और तमाम तरह के आरोप अन्ना टीम के ऊपर लगाने सुरु हो गए. इधर अन्ना टीम के भूषन नामक सहयोगी ने कश्मीर में विवादित बयान देकर अन्ना को कटघरे में खड़ा कर दिया. तो अन्ना उनकी अपनी निजी राय करार देते हुए प्रशांत को टीम का सहयोगी बताया.
मनमोहन ने चिठ्ठी लिखी, दिग्विजय ने चिठ्ठी लिखी, धमकी दी या दया मांगी, या सहयोग माँगा, पता नहीं और अन्ना की भूमिका बदल गयी.
आज फिर अन्ना ने अपना पुराना राग पलट दिया और मौन बरत धारण करने की मनसा जाहिर कर अपने गाँव से बहार जाने से भी मना कर दिया. यानि अब किसी भी राज्य के दौरे नहीं होगे, पकिस्तान का दौरा भी अधर में लटक गया. स्वास्थ्य शरीर का तो एक बहाना है. यह मौन कही धमकी का परिणाम तो नहीं, या फिर कोई और भूमिका तो कांग्रेस या केंद्र सरकार ने नहीं किया?
कुछ तो है….
जो अन्ना ने अपने विचार के साथ कार्यक्रम भी बदला.
कांग्रेस ने भी कम्मेंट किया केवल अन्ना की मौन रहेगे या अन्ना टीम भी रहेगी.
क्या व्यक्तिगत दया याचिका की गयी, या प्रशन भूषन को देशद्रोह में मुक़दमा की धमकी दी गयी, या किसी टीम के सदस्य को कही फसते देख यह कुछ किया गया.यदि नहीं तो फिर यह कहने को जरूर मजबूर हो जाऊंगा अन्ना का दौरा राजनीती से प्रेरित था और राजनीती के लिए ही ख़तम हो गया. यानि अन्ना भी राजनीती कर रहे या कोई अपना हित साध रहे है. सवाल उठता है तो क्या अन्ना भी ?
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