- 282 Posts
- 397 Comments
हो सके तो दीवाली मना लो,
जिस घर में हो अँधेरा,
बस, एक दीप जला दो, एक दीप जला दो!
ऐसा तो जीवन में होता ही रहता है,
कुछ भी कहे लोग, दिल हसता ही रहता है.
दिल में आया होगा गुबार तमाम,
उसको हटा दो, उसको मिटा दो,
अपनी जंजीरों को हटा दो,
जीवन को एक नया आयाम दो,
हो सके तो दीवाली मना लो,
जिस घर में हो अँधेरा,
बस, एक दीप जला दो, एक दीप जला दो!
यह देश नहीं है नंगे-भूखो का,
है बस इतना नहीं सफल है मानव जाल में,
पासे की इस दुनिया के जंजाल में,
लुट रहे है, लूट रहे है, तभी तो कंगाल है,
दिल से पूछो इनके, यह भी दिल के सरताज है,
बुझ गया दीपक और दीवाली,
सरताजी के इनाम में.
इनको मत त्यागो, मत वैरगो
दिल में न सही समाज में स्थान दो
हो सके तो दीवाली मना लो,
जिस घर में हो अँधेरा,
बस, एक दीप जला दो, एक दीप जला दो!
क्यों इतनी गहरी खाई खोदी है,
मानवता भी देख नयी सामाजिकता
आज दम से रोई है,
मानव को मानव से दूरी देख
उसने भी अपने सब्र खोयी है,
दंभ मत भर रे ऐ मानव,
पल में मिटा दूँगी, तेरे इस दुनिया को,
मत समझ प्रकृति को इतना अनजान,
मैंने ही तो तुझे बनाया है रे इंसान,
कहती है, जैसे तुम हो, वैसा ही सब स्थान दो
हो सके तो दीवाली मना लो,
जिस घर में हो अँधेरा,
बस, एक दीप जला दो, एक दीप जला दो!
Read Comments