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जल गए लोग, बदल गए लोग.
इंसानियत से हट गए सब लोग.
जल गए लोग – कट गए – मर गए लोग
हम जल भी न सके
उनके लिए कुछ कर न सके,
क्यों?
हमारी आत्माए मिट चुकी है
आत्मा से आत्मा का सम्बन्ध
अब केवल अपनो तक ही सिमटा है,
जल गए लोग, बदल गए लोग.
इंसानियत से हट गए सब लोग.
सब कुछ बदल गया, बदला जमीर,
सिमट गयी सीमाए, सिमटे है सोच,
क्यों?
इन्सान ही इन्सान का व्यापर कर रहा है,
कोई इन्सान बेच रहा है तो कोई खरीद रहा है,
अब जिस्मानी मोल घटा है.
जल गए लोग, बदल गए लोग.
इंसानियत से हट गए सब लोग.
अवाश्यक्ताये बदली और बदले स्वरुप
न कोई अपना, न कोई पराया,
न कोई इश्वर, न कोई अल्लाह
क्यों?
धन की धमकी बढ़ गयी है,
निर्धन की वकत घट गयी है,
अब दौलत ही दौलत रटा है.
जल गए लोग, बदल गए लोग.
इंसानियत से हट गए सब लोग.
भूल गए इस सूल को,
आज इंसानी जिस्म जले है,
मानव ने मानव को इतना छला,
बना डाला उसकी मौतों की श्रंखला,
क्यों?
हित लाभ के लिए
रोटी से शमशान तक रेट बढ़ा है.
अब मानव प्रेम हटा है.
जल गए लोग, बदल गए लोग.
इंसानियत से हट गए सब लोग.
आत्मा ने आत्मा को भी छला है,
चर्चा जब भी होती है,
हर आत्मा रोटी है, कहा है वो दिन,
जहा प्यार से मानवता रहती थी
अपने ही अपने थे, कोई भेद नहीं था हममे,
अब अपने ही छलते है, हरते है,
क्यों?
जीवन ही बदल गया है,
जीने के लिए, मरने के लिए,
मानव ने ही मानव को छला है.
जल गए लोग, बदल गए लोग.
इंसानियत से हट गए सब लोग.
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