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राहुल का युवा “बुनियाद”-प्रजातंत्र का या बंशवाद का.

BEBASI
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राहुल गाँधी का बुनियाद नमक युवा मंच का कार्यक्रम का नाटक यह एसिपोड़ कौन सा है मुझे तो ध्यान नहीं है. बताते है राहुल ने बताया है यह युवा कांग्रेसियों का एक कार्यक्रम है जो लगभग 1 करोड़ लोगो द्वारा चुन कर आये है. लोकतंत्र का राजकुमार बताने वाले के इस युवा नेता के संघठन में केवल बंशवादी ही तहलका मचाये हुए है. इनके यह पर वही विधान है जो सरकारी नौकरियो में होता है यानि बाप के म्रत्यु के बाद पुत्र को नौकरी. इन बन्श्वादी और बिरशत में पाने वाले राजनीतिज्ञों को कौन बताये यह सब तो तुम्हारे ही तरह विरासत में राजनीती कर रहे है. युवाओं को कांग्रेस के साथ जोड़ने के लिए हो रहे इस सम्मेलन के जरिये भले ही लोकतंत्र की कितनी भी दुहाई दी जा रही हो, लेकिन इन चुनावों के बावजूद युवक कांग्रेस में कांग्रेस दिग्गजों के पुत्रों और रिश्तेदारों की भरमार है.

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि दूसरे संगठनों को देखिए, वहां पदाधिकारी मनोनीत हो जाते हैं. हमने इसमें बदलाव किया है. आपको राहुल गांधी ने, जितेंद्र सिंह ने या मीनाक्षी नटराजन ने नहीं चुना है. दूसरे संगठनों में एक व्यक्ति ही पूरे ढांचे को चुन लेता है. जबकि कांग्रेस महासचिव यानि राहुल गाँधी यह भूल गए की इनके कितने वंशवादी जो अभी हाल में आये है वही इसी वंशवाद की ही पैदाईश है. जैसे देखे इन बानगियो को. केंद्रीय मंत्री वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य, झारखंड में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता राजेंद्र सिंह के बेटे अनूप सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री हरीश रावत के पुत्र आनंद सिंह रावत, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते और सांसद रवनीत सिंह, महाराष्ट्र में पतंग राव कदम के बेटे विश्वजीत कदम, हरियाणा में मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे, पश्चिम बंगाल के दिग्गज अब्दुल गनी खां चौधरी की बेटी मौसम नूर भी उन्ही कांग्रेसी खानदानो से है जो दम भरते है की हम प्रजातान्त्रिक तरीके से चुन कर आये है और हम ही केवल बचे है लोकतंत्र की रक्षा के लिए.

कांग्रेस के बुनियाद नमक नाटक में आज कांग्रेस सहित सरकार के वरिष्ठ तक सम्मिलित रहे. सोनिया ने युवक कांग्रेस में हुए चुनावों के बहाने राहुल की संगठनात्मक क्षमता और उनके प्रयोगों की तारीफ कर भविष्य के संकेत भी दे कर उन्होंने युवक कांग्रेस में प्रशिक्षण और चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा, परिवर्तन की जो यह नई प्रक्रिया शुरू हुई है, चुने हुए पदाधिकारियों के हाथ में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. सोनिया ने युवाओं को राजनीति में लाने की भी पुरजोर पैरवी की और कहा, आपके चुनाव और हिस्सेदारी और आपकी बड़ी भूमिका अदा करेगी.

राहुल गाँधी ने कहा कोई भी पैराशूट से नहीं आया. यानि सभी अपने- अनापे कांग्रेसी माँ- बाप से ही आये है. भाई बिलकुल साफ सी बात है जब पार्टी के खेवनहार है पुस्तैनी विरासत से आये है तो दूसरे को कैसे रोक सकते है. कांग्रेस आज भी राजा महाराजो की तरह आज भी भारत में सत्ता कायम किये हुए है. कोई संघर्ष कर नहीं आया. यह सभी विराशत की राजनीती कर रहे है और बंशवाद को बढ़ावा दे राजशाही इस देश में चला रहे है. भोली – भाली जनता को बहला- फुसला कर केवल सत्ता में काबिज रहना ही इन बिरशाती राज कुमारो का उद्देश्य है. इसी सम्मलेन में पंजाब में दूसरे डालो के लोगो को बंशवाद चलने के लिए कोशा गया. तब भी राहुल वह पर यह सब सुन रहे था और अपनी गिरेबान में झाकने की जरा भी कोशिश नहीं की. हो सकता है वक्ता दूसरो के बहाने राहुल को ही निशाना बनाया हो.

राहुल गाँधी का बुनियाद इस देश को कहा ले जाना चाहता है? कभी इसको भी सोचा जाये और विश्लेषण किया जाए तो भी लगता है ये केवल आज भी जनता को केवल बातो और कार्यक्रमों का झुनझुना पकड़ना चाहते है. जहा राहुल गाँधी ने पार्टी में प्रजातंत्र की बात की तो कोई भी व्यक्ति कह सकता है ऐसा खास कर कांग्रेस में तो नहीं है. फिर यह प्रजातंत्र की रक्षा कैसे करेगे? आज भी तमाम मामले है जिनमे पार्टी ही नहीं पीएमओ तक घोटालो में सम्मिलित है और सब कुछ जानबूझ कर तमाम घोताको को संरक्षण दिया गया. क्या यही प्रजातंत्र की मांग है. यही अगला प्रजातंत्र होगा. जरा सोचिये जो आज तक देश स्वतंत्र होने से लेकर आज तक केंद्र के बहुतायत वर्षो में राज करने वाले आज भी वही राजीव गाँधी की बात दोहराते मिल जायेगे, योजनाओ का पैसा आम आदमी तक नहीं पहुचता. जो इतने लाचार और मजबूर है भला वह कैसे इस देश के प्रजातंत्र की रक्षा करेगे?

राहुल गाँधी का यह बुनियाद कार्यक्रम देश को प्रजातंत्र तक तो नहीं राजवंशियो की तरह परिवारवाद और बंशवाद की तरफ धकेल रहा है. जमीं का कोई भी कार्यकर्त्ता तो नहीं हां किसी न किसी पारिवारिक भूमिका वाला हर स्तर पर कांग्रेस का पदाधिकारी ही नहीं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा होगा.

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