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चीन की गतिविदिया अभी तक भारत-चीन सीमा पर और पकिस्तान अधिकृत कश्मीर में ही दिखी थी. तब भी चिंता की बात कर भारत के मंत्रीगण सहज भाव से उनके अतिक्रमण भी सह लेते है. कभी कोई कड़ा प्रतिरोध न तो जताया जा सका है और न ही कोशिश की जाती है. और अब फिर एक नयी चाल चलते हुए चीन ने सोमवार को ऐलान किया कि वह हिंद महासागर के सेशेल्स द्वीप पर अपना पहला सैन्य ठिकाना स्थापित करेगा. यह उसका पहला सैन्य अड्डा होगा जो कही भी विदेशी धरती पर होगा. इसके लिए चीनी प्रवक्ता ने बताया है की वह केवल सैन्य अड्डे के जरिए सेशेल्स अथवा दूसरे देशों के बंदगाहों पर आपूर्ति और सहायता अभियानों को आसानी से कर सकेगा. इससे भारत की चिंता बढ़ाना तो स्वाभाविक है ही. पहले पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर क्षेत्र में चहल – पहल कर भारत को चौकाया था. अब सशेल्स द्वीप पर सैन्य अड्डा बना कर क्या पकिस्तान और चीन भारत को घेरना चाहते है.
पाक में चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले तो विरोध जताया गया. उसके सफाई में चीन ने कहा POK यानि पाक अधिकृत कश्मीर में सेना नहीं बल्कि हमारे यहाँ के कुछ सामाजिक संगठनो के सामाजिक कार्यकर्त्ता बाढ़ को देखते हुए कार्य कर रहे है. आखिर कुछ तो सच है ही यहाँ का माहौल ही कुछ बदल सा गया है. जब से चीन ने पकिस्तान में रूचि लेनी सुरु किया है तब से पाक के भी रुख में बहुत ही परिवर्तन हुआ है. इसी का ही परिणाम है अमेरिकी सेना का विरोध.
अमेरिका को बेदखल और पाकिस्तानी जनता के समर्थन के लिए चीनी ही खुफिया ने कही ISI के साथ मिलकर गलत सूचना करवा कर तो पाकिस्तानी सेना के जवानों को मरवा तो नहीं दिया. इधर जब से पकिस्तान के अन्दर लादेन को मार गिराया गया तभी से ही पाकिस्तानी सेना और ख़ुफ़िया ISI की जग हसाई भी हुई थी इसी की प्रतिक्रिया स्वरुप चीन के रुख को भाप कर पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अमेरिका को अनदेखा करना सुरु कर दिया. अमेरिकी अड्डा पकिस्तान में होना अपने आप में सामरिक महत्त्व रखता था. जिससे चीन को आपत्ति हो रही थी. इस समय चीन की अर्थव्यवस्था ठीक ठाक होने के कारन उसकी भी महत्वाकंछा जिन्दा हुई और कमसे कम एशिया में अपने प्रभुत्व को बढ़ाना चहता है. इसी के तहत सोची- समझी पाकिस्तानी सेना के अनुसार ही कार्यवाही कर अमेरिका को बदनाम होना पड़ा. इधर पाकिस्तानी अड़विक कार्यक्रमों को झटका लगा है, जिसके मद्दे नजर समय- असमय चीन ही आणविक इधन की आपूर्ति करेगा. यानि एक गहरी यारी के तहत यह सभी साजिस रची जा सकती है. अमेरिका का पकिस्तानी प्रवास चीन के लिए बहुत ही खतरनाक और सामरिक द्रस्ती से खतरनाक था.
अपनी महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए ही चीन ने हिंद महासागर के सेशेल्स द्वीप पर अपना पहला सैन्य ठिकाना स्थापित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया. जिससे भारत पर अनावश्यक दाब बनाया जा सके. और एशिया में चीन की नीतिया सफल हो सके इसके साथ साथ एरिकी मीडिया की चिंता के अनुसार इस तरह के सैन्य अड्डो से अमेरिका के प्रभुत्व को अफ्रीका में भी कम कर देगा. हलाकि इसके साथ ही सेशेल्स के विदेश मंत्री जियां-पॉल आदम ने हाल ही में कहा था कि चीन को उनके देश में एक सैन्य उपस्थिति स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है, जो जल-दशुओ से मुकाबला करेगा. हमने जलदस्युओं के हमले से लड़ने के लिए एक सैन्य उपस्थिति स्थापित करने के लिए चीन सरकार को कहा है. चीन सरकार के के प्रवक्ता के अनुसार अभी चीन इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और यहाँ से चीन के आर्थिक हित है. हलाकि चीन सिंय अड्डे के रूप को नकार रहा है.
कुछ भी हो चीन की गतिविधिया भारत और अमेरिका दोनों के लिए चिंता का विषय है. इसके मद्देनजर वार्ताए भी सुरु हो चुकी है. नतीजा कुछ भी चीन की भी यह एक सोची समझी चाल है, जिसके तहत अपने देश के उत्पादों को खपाने के लिए और व्यापारिक महत्त्व के साथ – साथ भरत पर प्रमुख रूप से प्रभाव कायम करने के लिए और उलझाने के लिए POK के साथ भरत की लम्बी सरहद पर कुछ न कुछ हरकत को अंजाम देता रहता है.
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