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बसपा द्वारा भ्रष्टाचार और पार्टी गतिविधियों व विचारधारा के विपरीत काम करने पर और स्वास्थ्य विभाग के घोटालो और तीन CMO की हत्याओ पर बाबु सिंह कुशवाहा को मोहरा बनाते हुए पार्टी से निकाल दिया गया. बाबु सिंह का जन समुदाय से तो ज्यादा लेना- देना था नहीं. केवल बसपा सुप्रीमो के भक्त होने के कारण सभी तरह से सरकार में प्राथमिकता मिली और नसीमुद्दीन के बाद इन्हें ही सत्ता का केंद्र माना जाता था. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के घतालो और हत्याओ को लेकर उपजे असंतोषवश बाबु सिंह कुशवाहा ने पार्टी को छादाने की घोसणा कर दी. पार्टी छोड़ने के बाद बाबू सिंह भूमिगत हो गए. उन्हें अपनी हत्या की भी चिंता महसूस हो रही थी तभी कोर्ट के द्वारा उनह उन्हें सुरक्षा की ढाल मिली. अब बाबू सिंह को पक्का विश्वास हो चूका था की अब भी मेरी हत्या हो सकती है या कुछ और तरह का व्यवहार हो सकता है. जिसके चलते उन्हें अब मजबूत सहारे की जरूरत भी महसूस हो रही थी. आने वाले समय भी भाजपा की धमक बाबू सिंह कुशवाहा को दिखाई दे रही थी. इधर भाजपा में अति पिछड़े के मध्य का कोई भी प्रभावशाली नेता न होने के कारण तलाश हो रही थी. वैसे तो कांग्रेस सहित समाजवादी पार्टी तक बाबू सिंह को लेने को तैयार बैठी थी. लेकिन बाबू सिंह कुशवाहा ने भविष्य के कारको को देखते हुए भाजपा ज्वाईन करने की घोषणा की, दिल्ली में बड़े नेताओ के मध्य.
इधर कांग्रेस को बहुत ही बुरा लगा. और सुरु हो गए तदापद छापे. छापे दर छापे में केवल इन्ही बाबू सिंह कुछ्वाहा को लक्ष्य बना कर अन्य सभी को करोडो की बरामदगी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. अब बाबू सिंह का भाजपा पार्टी नेताओ के बीच आना पसंद नहीं आया और भाजपा पर भी दाग सा लगा दिखने लगा. पार्टी के अडवानी के समेत तमाम नेताओ को हजम ही नहीं हो रहा था, इस तरह दूसरी पार्टी के निष्काषित की ताजपोशी. विवाद सुरु होने पर टिकट न देने के साथ प्रचार पर भी नहीं लगाने के गडकरी के फार्मूले पर भी पार्टी की जलालत कम नहीं हुई. यहाँ तक की बाहरी लोगो के साथ- साथ मीडिया ने भी हमले- दर हमले कर पार्टी में पछादो के प्रबंधको को लेकर पार्टी में दो फाड़ साफ नजर आन लगे. सहयोगी पार्टियों के नीतिस जी ने भी भाजपा के द्वारा इस तरह के लोगो को लेने पर गलत बताया गया. उत्तर प्रदेश के आदित्यनाथ सहित तमाम नेताओ ने तरह तरह से पार्टी में असंतोष व्यक्त करना सुरु कर दिया और कुछ लोगो ने तो इस्तीफे की तक धमकी दे डाली. अन्ना जी के सहयोगियो ने भी भाजपा में इस तरह के आरोपी लोगो को पार्टी में लेने पर निंदा की थी. दूसरी सभी पार्टियों सहित राहुल गंधी ने भी भाजपा पर कमेन्ट किया था. बाबू सिंह कुशवाहा द्वारा भाजपा खरीदने के आरोप के साथ राहुल ने जनता से सवाल किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाले आडवाणी की पार्टी ने हाल ही में किसको शामिल किया। खुद ही जवाब दिया कि बाबू सिंह कुशवाहा को। कुशवाहा मेरे पास भी आए थे, कहा बचा लीजिए लेकिन हमने कहा कि आप अंदर जाओगे। अब भाजपा ने कुशवाहा को ले लिया है। यानि कांग्रेस में बात बनी नहीं. तो बाबू सिंह कुशवाहा बुरे और भ्रष्ट हो गए, वह री राजनीती.
इस तरह भाजपा के अन्दुरूनी और बाहरी हमलो को देखते हुए बाबू सिंह कुशवाहा ने पार्टी अध्यक्ष से जब तक अमी पाक- साफ़ नहीं हो जाता तब तक मेरी सदस्यता को बिलम्बित रक्खा जाये. पार्टी का कोई भी बड़ा नेता इस फैसले का बचाव नहीं कर पा रहा है। ऐसे में कुशवाहा का यह पत्र बीजेपी के लिए राहत ला सकता है। कुशवाहा ने कहा है कि उनके आने की वजह से बीएसपी और कांग्रेस जैसे दल बीजेपी को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि बीजेपी पर हमले हों। आखिर बाबू सिंह कुशवाहा द्वारा विरोधियो पर तमाचा जड़ते हुए ठेंगा दिखा कर भाजपा को पाक- साफ़ बताया और कहा जब मै दोष मुक्त हो जाऊंगा तभी भाजपा में आऊंगा. सभी को ठेंगा दिखाते हुए आलोचकों के मुह पर ताला जड़ दिया. एक अति शोभनीय तरीके से भाजपा ने काटा निकालने का काम किया.
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