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अभी हाल में चुनाव आचार सहित का खुले आम कांग्रेस या कांग्रेस की शह पर सर्कार के एक मंत्री द्वारा उड़ाया जा रहा है वह आज सोचनीय है. कांग्रेस पर उत्तर प्रदेश की गद्दी का खौफ और प्रलोभन कुछ इस प्रकार छाया की उसने अपने मंत्री सलमान खुर्शीद को खुले आम मुस्लिमो के आरक्षण पर बोलने की छूट दे दी. जिसके परिणाम स्वरुप आज चुनाव आयोग का मखौल की स्थिति बन गयी है. चुनाव आयोग द्वारा कई बार चेतावनी देने के उपरांत भी खुले आम बार- बार मुस्लिम आरक्षण के प्रचार को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है. आखिर दूसरो पर भी तो पड़ेगा असर.
चुनाव आयोग की आचार सहिता के तहत कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार के सीधे प्रलोभन को अंजाम नहीं दे सकता है. आज चुनाव आयोग का ही खौफ तो है जो शांति से हो रहा है चुनाव. कही भी कोई प्रकार के हिंसक और उपद्रव की आवाज नहीं आ रही है. जहाँ राज्य में मायावती को उनके चुनाव चिन्ह हाथी को ढकते हुए एक न्यायपूर्ण चुनाव की दुन्दुभी बजायी वही पर आम जनता को भी चुनाव के बाद गंदे हो रहे दीवार और वातावरण से शोर का भी खात्मा करा दिया. वही आज भी मुस्लिम वोटो की राजनीती कर रहे और सत्ता की भूखी कांग्रेस खुर्शीद को आगे कर चुनाव आयोग की भूमिका को नकार रही है. जिससे उसकी सवैधानिकता पर ही सवाल खड़ा हो गया है.
आजिज आकर चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को सन्देश भिजवा कर चुनाव आयोग की गरिमा रखने को कहा. राष्ट्रपति ने भी चुनाव आयोग की चिठ्ठी को पीएमओ को भेज कर आईटी श्री कर दी. तो क्या चुनाव आयोग को न्याय मिलेगा और उसकी अस्मिता की रक्षा हो सकेगी? अब ये सवाल उठ खड़े हुए है. ऐसा लगाने लगा है कांग्रेस सरकार अन्य सरकारी विभागों की तरह चुनाव आयोग को भी हकेगा. तो फिर चुनाव आयोग और चुनाव का औचित्य ही ख़त्म हो जायेगा.
इन सभी बातो से तो यही लग रहा है. कांग्रेस खुद ही चुनाव आयोग की गरिमा को कम करने की मुहीम चलवा रहा है. आज यही सवाल फिर से मथ रहा है तो क्या चुनाव आयोग का भी वही हाल हो जायेगा जो अन्य सरकारी विभागों का है?
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