Menu
blogid : 1735 postid : 749

करम- धरम की यात्रा.

BEBASI
BEBASI
  • 282 Posts
  • 397 Comments

ये जेल भी अब बन गयी है
करम- धरम की यात्रा.
जो जीतनी बार जाये,
उतनी ही इज्जत बढ़ गयी है.
पहले कभी सीबीआई के छपे को
शान समझा जाता था
वही आज उसकी शाख बन गयी है.

ये न शरमाते है,
न घबराते है,
बार- बार जाते है,
बीमारी के बहाने जेल
में भी मंदिरों की तरह
अपनी चलाते है इतना
की जेल भी ऐश गाह बन गयी है.

निकम्मापन की भी हद होती है,
लेकिन यहाँ सब उल्टा पुल्टा है,
जो जितना लुटे, वही जल्दी छूटे,
जाना जरूर है, ये तीर्थ है, संकल्प है.
लोग जान जाते है,
जल्दी से जिताते है,
अब तो यह जितने की रह बन गयी है.

आज तक भला कोई बड़ी मछली
अपने ही जाल में फसती है,
जवानी बीतने के बाद ही
मुकदमो की फाईल खुलती है.
बुढ़ापे का यह भी वरदान है,
जेल, घर से अच्छी जगह
वृधोआश्रम सामान बन गयी है,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh