Menu
blogid : 1735 postid : 770

जंक्सन के फंक्सन ?-(feedback)

BEBASI
BEBASI
  • 282 Posts
  • 397 Comments

आज जब जंक्सन ने हमें याद दिलाया और सुझाया,
जरा हमको भी तो बताओ तुमने क्या खोया और क्या पाया?
मै कुछ हूँ या ऐसे ही मेरे साथ वख्त गवाया,
बताओ सच्चा या झूठा, अभिमान में मै इतराया.

सच ही है जो आज अवसर दिया गया अपने साथ जो समय हम सब ने जागरण जंक्सन में गुजारा I हमने भी जागरण जंक्सन का साथ दिया या हमने सहारा लिया वेब की दुनिया में कुछ संदेशो को अदन- प्रदान करने में. वाकई कही हम असंतुष्ट तो नहीं है, कही हमारे अन्दर कोई आक्रोश तो नहीं है, कही कोई छोटी या बड़ी कमी छिपी तो नहीं है, कोई सुझाव तो नहीं है. इसके लिए हमारा अनुभव ही तो इनको अवसर देगा कुछ और अच्छा करने या बदलाव की जिससे ये और ज्यादा से ज्यादा लोगो को हो सके पसंद. खैर ये तो उनकी बात थी, अब हमें अपनी बात पर चलना चाहिए.

मै भी पहले जागरण जन्कासन में आने स पहले नहीं समझता था, ब्लागों को. सुना करता था और मन जब भी कोई बात आती तो यही होता मै भी अपनी भावनाओ को लोगो से साझा करू. अपने सामाजिक द्रष्टिकोण को दूसरो से भी समझू क्या सही है और क्या गलत है. और उलझ कर रह जाता. बात बनती ही नहीं. पता नहीं वेब में ही कुछ करते हुए मुझे जागरण जन्कासन की जानकारी हुई और मैंने अपना नया अकाउंट बनाया. उसे समझा, जैसा की आप सभी भी किसी न किसी की सहायता से ही लिखना समझे होगे. मैंने कई बार कोशिश की और हिंदी में लिखना मुझे आती सरल लगा और फिर सुरु हो गया. आज जब मैंने 250 की संख्या को छू लिया है तो मुझे लगता है, जागरण ने मुझे वह जगह उपलब्ध करायी जिसे हर कोई पा नहीं पता. लेकिन यह तो सभी के लिए साफ खुला है कोई भी किसी तरह का कोई भी शुल्क नहीं और न ही कोई दिक्कत. बहुत ही खोज में मैंने पाया कुछ लोग ब्लाग के नाम पर भी साईट बना धन उगाही करते है. चलो जागरण जंक्सन ने मुझे एक नया लेखन में जीवन दिया.

हमने बहुत कुछ लिखा लेकिन आज तक किसी भी पुरस्कार तक नहीं सका. कभी- कभी यह मलाल आया भी लेकिन मैंने कहा अपने से ही शायद मै अच्छा नहीं लिख पा रहा हूँ. मन खट्टा भी हुआ, उदास भी हुआ, लेकिन अपने आप में सुधार की लगन के साथ मै लिखता ही रहा. अब भी अपने लेख की गुणवत्ता को छोड़ केवल सामायिक विषयो को ही चुन कर लिख लेता हूँ और अपने आप को बहुत ही सुधारने की कशिश करता हूँ. लेखन को दिशा भी मिली है. तीखापन भी आया है.

जैसा की आप वेब प्लेट फार्म में तरह की अश्लीलता को देखने को मिले किन्तु यहाँ ये भी नहीं दिखे. ऐसा लगा जैसे यह एक साहित्यिक जगह है. बुधिजिवियो की जगह, मनीषियों की जगह है. तरह तरह के विचार और ढंग ढंग के लेख के बीच अजीब मन को संतुष्टि सी मिलती है. यहाँ जब भी लिखता हूँ तो इसस यही होता है कुछ मनीषी लोग ही ये लेख पढेगे और सुझाव को लिखेगे. हममे जरुर सुधार होगा और कभी न कभी तो अपना भी उधर होगा ही. सामाजिकता की भागीदारी करते हुए लिखने में कभी- कभी उत्तेजना वश कुछ गलतिया भी हो जाती होगी मै ऐसा मानता हूँ. लेकिन कभी भी मुझे शिकायत नहीं मिली. किसी ने ये भी नहीं कहा तुम गलत लिखते हो या अश्लील लिखते हो, आय कुछ और. मेरा हौसला बुलंद रहा और तब से लगातार लिख रहा हूँ और लिखता रहूगा.

हो सकता है जागरण जंक्सन की कुछ नियम और कायदे हो पर आज तक हमने यह तो देखा ही नहीं बस, लिखना बनने लगा और हम आगे बढ़ाते गए बिना किसी हिचक और दिक्कत के. आज मै अपने को काफी संतुष्ट महसूश करता हूँ. किसी विषय पर लिखना और विश्लेषण देना भी एक अलग तरह की विधा है. सभी में कुछ न कुछ दिक्कते तो आती रहती है ही. मुझे तो इस जागरण जंक्सन में कभी दिक्कत आयी ही नहीं. एक बार मेरा सिस्टम कुछ गड़बड़ करने लगा तो फार्मेट करना पड़ा. जिससे कारण हमारा पासवर्ड मिस ह गया. बहुत दिक्कत हुई. हमने कई बार जंक्सन में अपनी दिक्कत को दोहराया तो फिर से जागरण जंक्सन को ज्वाईन कर सका. वे कुछ दिन कितने वेचैनी से गुजरे, आप नहीं जान सकते. हमने नए अकाउंट तक बना डाला लेकिन दिक्कत वही कुछ नहीं हुआ और इतना मानसिक रूप से परेशां हुआ अब आप कुछ ही समझ ले.

मेरे सुझाव अभी तो कुछ नहीं है. मै अपने आप को यहाँ पर ठीक पाता हूँ, जबकि दूसरी जगह मुझे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अभी तो कोई सुझाव नजर नहीं आ रहा जब मुझे सक्मझ में आयेगा तो जरूर शेयर करुगा.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh