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गुवाहाटी में लड़की से बदसलूकी के असली दोषी ?

BEBASI
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जैसा की आप सभी हाल में घटित हुई एक लड़की के साथ कुछ लड़को के द्वारा कपड़ो को फाड़ने के साथ काफी देर तक यौनात्मक छेड़-छाड़ की गयी थी, उसी के सम्बन्ध में आप भी जाने कैसे अपराधी बचाते है और कैसे ये मिडिया पुलिस गठजोड़ काम करता है. घटना को शूट करने में सहयोग करने वाले पत्रकार गौरव ज्योति नियोग मौके पर था और पूरे प्रकरण को शूट किया चैनल के सम्पादक अतानु भुयान ने. ये दोनों ही मिडिया के लिए काम कर रहे थे और मौके को शूट कर रहे थे. जरा सोचिये अपनी TRP को बढ़ने के लिए ये चैनेल के लोग क्या नहीं करते. ये जो घटना उस महिला के साथ घटी ऐसा महशूस होता है पूर्व नियोजित थी. मौके में पत्रकार गौरव का होने और जिम्मेदारी से मुकरना भी उसे अभियुक्त साबित कराती है. पत्रकार एक जिम्मेदार और समाज का पहरेदार है वही अपने चैनेल के लिए अगर लोगो को अपराध करने के लिए उकसाने लगे तो भला समाज में सन्देश क्या जायेगा. एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के अनुसार पत्रकार उकसा रहा था ऐसी CD मिली है. (समाचार द्वारा) सच को ढूढ़ना ही होगा. ताकि कभी भी ऐसी जिम्मेदार पद का व्यक्ति किसी की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ न कर सके. उक्त पत्रकार द्वारा अपने संपादक को खबर बनाने की प्रक्रिया जरी रक्खी गयी जबकि पत्रकार का प्रथम कर्तव्य यह था वो अपराधियों को किसी न किसी तरीके से रोकता. जैसा भी होता यथा शीघ्र पुलिस को बुला कर अपराधियों को रोकता. किन्तु एक सोची समझी चाल के आधार पर ही अपने चैनेल को प्रसिद्ध दिलाने के लिए उसके द्वारा बहुत ही घ्रणित कार्य किया गया.

और मजे की बात ये सामाजिक सुरक्षा का दम भरने वाले चैनेल ने बदसलूकी का फुटेज भी चलाया और शूट की गयी पिक्चर को नेट भी डलवाया. अगर ये पत्रकार चाहता तो उस लड़की के साथ बदसलूकी तो हो ही नहीं सकती थी. इसके द्वारा अपने पत्रकार होने की धमकी ही बहुत थी. अपराधी की हिम्मत ही नहीं पड़ती ऐसा कुछ करने की. एक पत्रकार के सामने इस तरह की घटना को अंजाम देगे तो भला कैसे बच जायेगे. निश्चित था चैनेल पर चलना और घटना का आम आदमी के सामने आने पर कुछ तो हव हल्ला तो होता ही और जरूर पकडे जाते. इस पत्रकार ने जान बूझ कर लड़को उकसाया और बदसलूकी की पिक्चर बनायीं ताकि उसके न्यूज चैनेल के लिए एक अच्छी बाईट मिले. यानि ये जो भी अपराधी थे वे बेख़ौफ़ थे पुलिस से. इस बात की भी गारंटी देने वाला भी यही पत्रकार ही होगा और इसका चैनेल होगा. तभी तो स्थानीय पुलिस ने भी कुछ नहीं किया. ये पिक्चर बनता ठीक था लेकिन इसके साथ पुलिस को न बुला कर इसके इन लफंगे अपराधियों के साथी होने का आरोप पूरी तरह से सही है. यानि ये पत्रकार और इसका चैनेल अपराधी है उस लड़की के साथ बदसलूकी होने के. इन्हें तो जेल जाना ही चाहिए, नहीं तो दूसरे भी इनका ही अनुसरण करेगे.

पुलिस के द्वारा गुवाहाटी के व्यस्ततम इलाके में इतनी बड़ी घटना घटी और पुलिस ने भी कोई ध्यान नहीं दिया. ऐसा लगता है गुवाहाटी में इस तरह के घटनाओ की स्थिति आम है. तभी तो वह के एस.एस.पी. द्वारा इस केस को बहुत ही हल्के से लेकर लापरवाही बरती गयी. जिससे अपराधियों को मौका ही नहीं बल्कि हौसला भी बुलंद हुआ. इसी तरह के अधिकारी आज देश में अपराध बढ़ा रहे है और पुलिस की साख मिटटी में मिला रहे है. आखिर ऐसा क्यों हुआ एक जिम्मेदार अधिकारी भी अपराधियों का हिमायती कैसे बना ? उसने एक लड़की की इज्जत को तार तार करने को ऐसे हल्के में कैसे लिए कोई तो कारण रहा होगा. जब इन कडियों का वास्तविक हिसाब लगाया जाये तो जरूर ये अफसर भी कही न कही दोषी है अपराधियों का साथ देने का. अब हमी विश्लेषण करते है. समाज में मिडिया और पुलिस पहरेदार ही नहीं एक दूसरे के दुश्मन भी होते है. पुलिस गड़बड़ी करती कराती है और ये पत्रकार महोदय उनमे पानी फेरते है जनता को गुमराह करते है, सोच की दिशा ही बदल देते है. खास कर पुलिस को बचाने का काम भी यही मिडिया आज देश में कर रहा है. इन्ही की मर्जी से अपराध उजागर करते है और इन्ही की मर्जी से अपराध छिपाते भी है. जरूर इस चैनेल से इन पुलिस के एस,एस,पी, महोदय के सीधा और मजबूत सम्बन्ध था. चुकी घटना तो घटी और चैनेल पर चली लेकिन किसी एक खास पर जिससे इसकी स्थानीय सेवा में महत्त्व बढ़ा. इन पुलिस अधिकारी महोदय ने भी देखा जरूर होगा. लेकिन उन्ही पत्रकार महोदय की ही कुछ कही सुनी के कारण पुलिस ने कार्यवाही करने में अकारण देरी की. यानि इस साजिस की पहले से ही पलिस को जानकारी थी. किन्तु सामाजिक भय और रात के कारण येही सोचा गया लड़की कुछ करेगी नहीं और पुलिस को कुछ करना नहीं पड़ेगा. लेकिन हो गया उल्टा. तब अब पुलिस की भी बारी थी कुछ उपकार करने की. वो किया गया और शिकायत को जानबूझ कर अनसुना कर दिया गया. यानि उक्त एस,एस,पी. भी अपराध में भागीदार है. तब तो अपराधियों और चैनेल कर्मियों का साथ देते हुए अपराध छिपाने की कोशिश की गयी.

अभी तक सभी प्रकार की प्राप्त जानकारियों यथा अखबार, टीवी और नेट के अनुसार मेरे लिए तो सबसे बड़ा अपराधी वो पत्रकार है जिसके रहते उस लड़की के साथ बदसलूकी हुई. फिर उसका संपादक और इन सबका संरक्षक एस.एस.पी. ? तब कही दोष समझ में आता है उन लड़को का जिन्होंने किसी के संरक्षत्व में इस घटना को अंजाम दिया.

जग जाहिर सी बात है जब जांच होगी तो ये सभी बचा लिए जायेगे और कुछ लोगो को दोषी ठहरा कर मुकदमे को इतने कमजोर ढंग से प्रस्तुत किया जायेगा कि न्याय खुद को बचाते हुए इन सभी को बैज्जत बरी कर देगा.

मेरी बात तो इस प्रकरण की सीबीआई जांच करा कर दोषियों को छोड़ा न जाये.

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