Menu
blogid : 1735 postid : 820

बोस्टन हो या बंगलूर, मरा तो इंसान ही है.

BEBASI
BEBASI
  • 282 Posts
  • 397 Comments

बोस्टन में कुछ इंसानों ने ही रच दी इंसानों के मौत का फंदा/धमाका और उसके कुछ ही समय बाद भारत के भी अपने कार गुजारी से इंसानी खात्मे का धमाका कर दिया गया. आज भी खबर है टेक्सास की फर्तिलायिज़र कंपनी में धमाके किये गए जिसमे भी इंसानों की मौत हुई है. इन सभी धमाकों में लगभग एक सैकड़ा लोग काम आ गए. उनके जीवन में जो कुछ भी आगे करने या सोचने का समय ही ख़त्म हो गया. लोग अपने मरने के वख्त अपने अजीज के लिए कुछ कह जाना चाहते है, लेकिन यहाँ तो मंजर ही कुछ और था केवल चंद पल थे वो भी मरने के लिए. कोई भी किसी तरह की गुन्जायिस भी नहीं थी बचने की, थी तो मरने की. आखिर इंसान के क्षेत्र अलग हो सकता है, रहन सहन अलग हो सकता है, खान पान अलग हो सकता है, रंग अलग हो सकता है, लेकिन मौत सामान थी, मरने वाला कही भी अलग नहीं था सभी इंसान थे वो चाहे जहाँ मरा हो बोस्टन में, टेक्सास में या बेंगलूर में.

कभी सोचता हूँ की बोस्टन में हो रही मैराथन दौड़ से भला इन आतंकी कहो या मानवता के दुश्मनों का क्या सरोकार था. लोग दौड़ रहे थे, कुछ अपने अन्दर की प्रतिभा को लिखाराने के लिए तो कोई अपने को विजेता बनाने के लिया तो कोई किसी और मकसद से इस प्रतियोगिता में भाग ले रहा होगा. जरुर कुछ न कुछ तो विचार रहा होगा इन प्रति भागियों के मन में. उमंग रही होगी, परिवार केलोग भी अपनो को दौड़ते और जीतते देखने के लिए भी विनर प्वाईंट में इकट्ठे रहे होगे. सब में जो कुछ था तो केवल इस मरथान के रोमांचक अंत का ही था. लेकिन कुछ ही पलों में लोगो की विचार धरा में परिवर्तन ही नहीं सोच में भी परिवर्तन हुआ. जब उन लोगो ने अपनो को मरते हुए देखा. कुछ कह नहीं पाए, बस एक पल के लिए रह गए अवाक और अपने निहार रहे थे शून्य में. ये क्या हुआ, किसने ये किया. यही एक सवाल रह गया लोगो के जेहन में. इंसान को कम से कम बता दिया ही जाए तब भी ठीक है. इन मौतों और खुशियों पर तुषाराघात कर मानव विरोधी लोगो को क्या मिला.

कोई भी मानव या उनका समूह, जिसे धर्म कहा जाए या जाति कहा जाए, कभी भी किसी मानव को मरने की अनुमति नहीं देता होगा. क्योंकि वो भी मानव है, और उसकी आने वाली संताने भी मानव ही होंगी. तो भला कैसे कोई धर्म इन घटनाओ के साथी हो सकते है. यदि है तो मानव का संघठन नहीं बल्कि हत्यारों का संघठन होगा. ऐसे संघथानो का तो जड़ से ही सफाया किया जाना आवश्यक है. फिर मानव रोधी इन सघथानो को ख़त्म करने में यदि कोई भी धर्म या जाति विरोध कराती है तो उसे ख़त्म करने में जरा भी देरी नहीं करनी चाहिए. क्योकि आज नहीं तो कल ऐसा तो करना ही पड़ेगा. निश्चित है, इनकी मानव विरोधी बढाती गतिविधियों से जल्द ही मानव विरोधी जातियो, धर्मो, समूहों, या अन्य संगठनो से दो-दो हाथ करना ही पड़ेगा. कल देरी हो जाए और ये तेजी से फ़ैल रहे जहर से जीवन नष्ट हो जाए तो उससे बेहतर होगा, समय रहते इसका इलाज यानि बिना किसी हिचक के ख़त्म कर दिया जाए.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh